साँस लज्जित, आँस लज्जित, है अटल विश्वास लज्जित। आज इंसानियत के बाज़ारों में सभी अनायास लज्जित। है तमाशा जो बनाया एक अधूरी ज़िंदगी को उसके चरणों में पड़ा वह मिट्टी का इतिहास लज्जित। साँस लज्जित, आँस लज्जित, सत्य कि बुनियाद लज्जित।
खो गया है धुंध में आकाश कोहरा है घना सुर्य का तेजस नहीं अब लाशों की है आरती। भूल कर हृदय का प्रथम एहसास जो हठ था किया आज यह उस राह की प्रथम है उज्जवल भारती।