खूबसूरती की हदें
शाम ढले, अरसा हो जाने को है
चाँद तले, दरिया सो जाने को है
लेकिन फिर भी, तुम्हारी इन आँखों में,
खूबसूरती की हदें बरकरार हैं!
मौसम से कलियाँ, बहक जाने को हैं
झरनों की साजिश, ठहर जाने को है
लेकिन फिर भी, तुम्हारी इन ज़ुल्फ़ों में,
खूबसूरती की हदें बरकरार हैं!
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