Sneha Tiwari   (स्नेहा तिवारी)
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Joined 21 October 2019


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Joined 21 October 2019
22 JAN 2022 AT 9:12

यूं ही बैठे बैठे रेत के महल को बनाती बिगाड़ाती क्यूं हैं
जो तेरा है तेरा ही रहेगा कुछ पल और आज नहीं तो कल
जब भय का साया डराएं तो साहस की लौं जगाएं कुछ पल और आज नहीं तो कल
जब क़दम तेरे डगमगाए तो मंजिल की आश लगाए कुछ पल और आज नहीं तो कल
जब राही करें व्यंग्य तो तू छोड़ उनका संग कुछ पल और आज नहीं तो कल

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21 JAN 2022 AT 18:29

कितनी सस्ती है ना वो प्रेम के दो बोल में ही बिक जाती है और कितना निर्लज्ज हैं वो उसके प्रेम को कमजोरी समझ लेता है
कितनी सस्ती है ना वो त्याग समर्पण कर भी मूर्ख रह गई और वो अपनी चपलता को अभिमान समझ लेता है
कितनी सस्ती है ना वो अपमान को हि मान समझ बैठी , कितना निर्लज्ज हैं ना वो उसके प्रेम को दीन हीन समझ बैठा



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14 SEP 2021 AT 18:55

वट ने किया तुम को चित्त
इट ने दिया तुम्हें पीट
अपनी भाषा को कर के अनफिट
क्यूं करते हो भाईयां घिट पिट
विदेशी भाषा का कर अभिमान
कहां चले तुम सीना तान
अपनी माटी देख काहें लज्जा रहें हों
मन को गुलामी की जंजीरों से कर दो मुक्त
कर हिंदी भाषा को अलंकृत
ताकि हो अपनी भाषा गौरवान्वित
यदि तुमको है भाषा पर अभिमान
तो नहीं है तुमको सच्चा ज्ञान

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6 AUG 2021 AT 15:33

जीवन में भावों का मिश्रण कम हुआ की आप संवेदना हीन हो गयें
भावों के रंगों को अपने जीवन से करकें यूं बेरंग
जीवन के मंजिल पर भटकते राहगीरों से आप संवेदना हीन हो गयें
रंग बिरंगे भावों से भर जीवन के कोरे कागज़ को संवेदनशील बनाओ
जीवन को भावों की सुंदर बागियां सा सजाकर तुम भी संवेदनशील बन जाओ

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14 JUN 2021 AT 11:31

आरंभ में शिव मुझ में
अंत में मैं शिव में

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14 JUN 2021 AT 11:26

यूं पलकों को झुका कर आंखों के गहरे राज को छुपाया ना करों
जो दिल में कोई दर्द हो मुस्कुरा कर दर्द को छुपाया ना करों
हजारों गमों को दिल में दबाकर यूं चेहरा हम से छुपाया ना करों
ख़ामोशी तुम्हारी दर्द बयां करती है यूं गमों को छुपाकर हमें बेगाना न बनाया करों

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30 MAY 2021 AT 9:37

अहम का भोग त्याग मेरे माघव प्रेम से भोग लगाएं मेरे माघव कैसी लीला रचाई मेरे माघव
युद्ध में त्याग शस्त्र बन रथी मीत को राह दिखाएं मेरे माघव कैसी लीला रचाई मेरे माघव
बन प्रस्तावक बीच सभा में त्याग राज्य कर पांच गांव भर मांगे मेरे माधव कैसी लीला रचाई मेरे माधव
निर्लज्ज वीरों की सभा दौपदी का चीर बचाया मेरे माधव कैसी लीला रचाई मेरे माधव

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28 APR 2021 AT 8:35

रण में हैं योद्धा तू धीर रख धीर रख
ना डर ना हट बस डट धीर रख धीर रख
सामने हों चाहे असमान शत्रु धीर रख धीर रख
दृढ़ संकल्प हो ना डर ना हट बस डट
रण में हैं योद्धा तू धीर रख धीर रख
शस्त्र तेरा वीरता तू धीर रख तू धीर रख डटा रह तू रण में , ना डर ना हट बस डट तूं धीर रख धीर रख

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23 APR 2021 AT 12:37

लाभ केंद्रित हुआ मनुष्य स्वभाव हुआ राक्षस सा
दमन कर शोषण कर किया भयंकर विनाश
मरता विवेक देख हो रहा हा हा कार सूझे ना जतन जब तक ना हो कोई अभाव
प्रकृति मां की निर्मल स्पर्श को किया निर्ममता से भेद और मूर्ख समझ रहा है आपने आप को विशेष

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22 APR 2021 AT 18:23

अहम वहम के बीच फंसी ये दुनिया है पूरी गोल
जो समझ वो बचा जो नहीं समझा वो वहीं खड़ा

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