जिस दिन सूरज चांद को चाहने लगेगा,
खुबसूरती की तुलना सूरज से होने लगेंगी,
उस दिन में भी तेरी हो जाऊंगी....
जिस दिन मौलवी मंदिर में पूजा करने लगेंगे,
पंडित अज़ान पढ़ने लगेंगे,
उस दिन में भी तेरी हो जाऊंगी...
जिस दिन गूंगे तारीफ़ करने लगेगे,
बहरे मेरी लिखीं हुई शायरी सुनने लगेगे,
अंधे इस शहर की खूबसूरती को निहारने लगेगे
उस दिन में भी तेरी हो जाऊंगी..!!
जिस दिन लोग दर्द मेरे समझने लगेंगे
मेरी शायरी नहीं मुझे पढ़ने लगेंगे
उस दिन मैं तेरी हो जाऊंगी
जिस दिन बेवजह लोग खुशियां बांटने लगेंगे
यूंही हर पल मुस्कुराने लगेंगे
उस दिन हां हां उस दिन मैं भी तेरी हो जाऊंगी
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