Sneha Kumawat   (Sneha (Dinki)kumawat)
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Indore india
#sanskrit student
Joined 30 October 2019


Indore india
#sanskrit student
Joined 30 October 2019
13 MAY AT 11:03

पहला प्यार कभी भुलाया नहीं जा सकता
फिर चाहें यादें सुखद हों या दुःखदायी

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1 MAR AT 0:33

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.......

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23 FEB AT 1:43

Sometimes even time is not right for us, it spoils everything but gives us
a new way of living.

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26 JAN AT 1:08

अकेले रहना, उसी में बहुत
खुश रहना एक हुनर है
जिसने सिख लिआ वही
तो आज मस्त मगन है

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26 JAN AT 1:00

उम्मीदें हमेशा कष्टकारी होती है

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1 JAN AT 0:59

नया साल वही शुरुआत
लक्ष्य को निश्चित भेदने का फ़साना
बाधाए, विफलताए आएगी ढेरो
तुम कहीं विचलित होकर ठहर न जाना
लक्ष्य के पथ पर निरंतर राही,
बस तुम चलते ही जाना
होसलो को अडिग रखकर
सफलता से इसी वर्ष हाथ मिलाना

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28 DEC 2024 AT 22:23

जानां
तेरे जाने के बाद जाना
किसी का जाना क्या होता है
नासबूर निगाहेँ राहें तकती अश्कों से भिगोकर
वह हर गम़दीदा किस्सा,खुशियाँ बतानी थी
वो अब अंदर ही कहीं क्रब कर दी मैंने
तब जाकर जाना तेरा साथ छोड़ जाना
क्या होता है।
वो उभरते शौख, संवरना सब खो गए हमसे
वो नगमो गज़लो की मंजिले भी कतरा गयी
तब जाकर जाना तेरा मुझे भूल जाना क्या होता है
दुनियादारी भीड़ मिले लाखो मर्तबा लोग कई
उजड़ते ख्वाबों, में भी तुमसा न कोई मिला हमसे
तब जाना तेरा हाथ छूटना क्या होता है
तसव्वुर तुम्हारा बेसबब सँग ताउम्र
इज्तिराब से कस्र बनाए जो दिल में
तेरे जाने के बाद जाना उनका
आहिस्ता बेदब उजड़ना क्या होता है

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23 JUL 2024 AT 14:53

तृष्णायां नष्टाः मानवाः कामक्षुधा रुदन्ति स्म
अधुना जगत् नूतनसृष्टेः आग्रहं कुर्वन् अस्ति।
वनवह्निश्च दारुणो जीवानां क्रन्दनं क्रन्दनम् |
अधुना जगत् नूतनसृष्टेः आग्रहं कुर्वन् अस्ति।
निर्निधियां व्याघ्रः उदयति, सर्वे हिमशैलाः द्रवन्ति
अधुना जगत् नूतनसृष्टेः आग्रहं कुर्वन् अस्ति।
मेदिनी रक्त कलंकित, नव महामारी दह
अधुना जगत् नूतनसृष्टेः आग्रहं कुर्वन् अस्ति।
नग्नं सर्वं लज्जां विजयी सर्वं मिथ्या
अधुना जगत् नूतनसृष्टेः आग्रहं कुर्वन् अस्ति।
बहूनां विच्छिन्नानां प्रकृतिः सर्वा नष्टा अभवत्
अधुना जगत् नूतनसृष्टेः आग्रहं कुर्वन् अस्ति।

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22 JUL 2024 AT 17:49

तुम जबसे दूर हुए हों....
सबकुछ बिखरा बिखरा सा लगता है
तुम्हारे होने से ये शहर,
मेरा जीवन सबकुछ सुहावना सा था
अब सबकुछ उजड़ा उजड़ा सा लगता है
यहां अब रहने की न कोई खास वजह रही
ना किसी और से अब दिल लगाने की चाहत बची
कभी बहुत बात करने वाली भी आज गुमसुम सी रहने लगी।...
तुम्हारा साथ छूटना मानो सबसे
बड़ा हादसा हों मेरी जिंदगी का।
क्यू दूर यूँ गए छोड़ कर बस यही जिंदगी से
मेरी शिकायत रही......



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10 JUL 2024 AT 15:37

तो आज फिर उनसे
कुछ यूँ मुलाक़ात हुई,
ना वो घड़ी भूल आए
ना हम अपने पास उन्हें रोक पाए.....

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