Sneha Kolge   (स्नेहा..)
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Writer is not a word.. It is world of feelings which are untold -स्नेहा
Joined 28 October 2018


Writer is not a word.. It is world of feelings which are untold -स्नेहा
Joined 28 October 2018
5 JUN AT 20:27

मी नेहमीच म्हणतो,
"तू म्हणशील तसं"..
तुझे मात्र ..सदैव म्हणणं..
हे असं रे कसं?..
©®स्नेहा

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24 MAY AT 18:11

इश्क़ ..
हर किसी को..
किसी एकसेही होता हैं..
पूरा हो जाए ..
तो अपने साथ ले जाता हैं..
अगर अधुरा रहे तो..
जर्रे जर्रे में ठहर जाता हैं..
©®स्नेहा..

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19 MAY AT 14:18

उसने कहा, बड़ा गुरूर हैं तुम में.. कम कर दो..
हाँ, हैं तो सही..मगर जचता किसी किसी पर हैं..
©®स्नेहा..

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17 MAY AT 11:17

तोड़ दे तुझे, वो इश्क़ नहीं होता..

रूह -ए-सकुन होता हैं इश्क़..

जो तुझसे कभी ज़ुदा नहीं होता..
©®स्नेहा..

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14 MAY AT 15:47

इक मुस्कुराहट की चाहत थी उसे..
और मैंने उसे खुशियों की सौगात दे दी..


हमने बस गले लगाने की हसरत रखी..
और उसने शरीफ़े औकात बता दी..
©®निशि

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14 MAY AT 15:44

रूख हवा का बदलते हुए..देखा होगा पत्तों ने

वो शाख़ से जुदाई का आलम बना बैठें..
©®निशि..

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14 MAY AT 15:40

शायद वो शाख़ही बेवफ़ा निकली होगी..

यूँही कोई परिंदा अपना घोंसला उजाड़ता नहीं..
©®निशि..

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30 APR AT 11:56

ती प्रत्येकासमोर..
स्वतःच्या दुःखाचा पाढा वाचत होती..
पण.. तो तर तिच्या सुटकेसाठी..
केलेला 'शंखनाद' होता..
©®स्नेहा..

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22 APR AT 10:22

जरूरी नहीं कि,
जिंदा दिखनेवाले लोग जिंदा होते हैं..
न जाने कितने जीतेजी ही मर जाते हैं..
©®स्नेहा..

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15 APR AT 9:38

वो बख़ूबी समझ लेती हैं, बेजुबाँ जानवरो की बोली..

बोलनेवाले मगर उसे कहते है, तुम कुछ नहीं समझती..
©®स्नेहा..

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