अकेलेपन का साथ है
यही तो बात खास है
लोग कहते है बहुत नकारात्मक हूं मै
पर इस नकारात्मक में छुपा कोई राज है
जखम इतने है की दिखा नहीं पाऊगी
घुमनामी की दास्तां मैं सुना नहीं पाऊगी
कभी समझी नहीं किसी ने मेरे दिल की हालत
आशुओ ने बयां की जूबा की वकालत
प्यार कि मारी हूं
किस्मत से हारी हु
हाथो की लकीरों में नही वो
सायद इसलिए मैं नकारात्मक नारी हूं
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I put my soul in my writing
ये कुछ कहानी हमारी ज़बानी
दिल में मोहब्बत
आखे भी नम थी
छोड़ गए जिस राह पे
वो राहे भी लंबी थी
लंबी सी रात थी
कुछ अधूरी बात थी
दिल में मोहब्बत का पैगाम था
और दिल पे ज़ख्मों का निशा था
निशा कुछ इस तरह कोई कुरेद गया
कोई हमें फिर से अकेला छोड़ गया
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दर्द छुपा लो मुस्कुराहट के पीछे
क्युकी दर्द का कोई मोल नहीं
जिस ज़माने में हम है
वहा हम जैसों का कोई जोड़ नही
चाहत तो बस इतनी थी
वक्त मिलता तुम्हे गले लगाने का
पर वक्त पर किसिका जोड़ नहीं
और यह ज़िंदगी है जनाब
यहां के रास्तों में तुमसे मिलने का कोई मोड़ नहीं-
प्यार कि भूक जब सबसे ज्यादा हो
तब दामन छूट जाते है
जिन हाथो को थामने की जरूरत होती है
वो फिसल जाते है
ये ज़िंदगी का सफ़र है जनाब
मुस्कुराते तो सब है
बस हस्ना भूल जाते है
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औरों में खुद को खो के
सबको अपना बनाया है
जब कोइ अपना मिला
उसको हाथो से फिसलता पाया हैं
है दिल में हज़ार गम
फिर भी मुस्कुराया हैं
ज़िन्दगी के हर मुश्किल सफ़र पर
खुद को अकेला पाया है
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सोचो वह तुमसे बिछड़कर कितना लाचार रहा होगा
जिसने तुम्हें जिंदगी में खुल के अपना प्यार कहा होगा-
मै सर्द सुबह सी हूं
कोई छूले मुझे
मै खुले आसमा सी हूं
कोई केहता हैं
आंखो मे समंदर हैं
या समंदर मेरे अंदर है
क्या कहूं में उस नीले समंदर सी हूं
इश्क़ किया था मैंने मुस्कुरा कर
किसी को धोखा नहीं दिया अपना बना कर
याद कर लिया करो हमे याद बनाकर
बाद में ये मत कहना
चले गए तुम हाथ छुड़ाकर!!!
चले गए तुम हाथ छुड़ाकर!!!
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नारी के अपमान ने
उस युग में महाभारत करवा दिया
तो सोच लो इस कलयुग में क्या होगा???
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हम तुझे भूल जाए ये हमसे कभी हुआ ही नहीं
मिले तो थे हज़ार चहरे सफर में
पर तेरे चहरे के अलावा
हमे कोई चेहरा जच्चा ही नहीं-
अगर पता होता कि वो आखिरी मुलकात है
तो तुम्हारे सीने लग कर थोड़ा और रो लेते-