शाम की अल्फाजों में उतारूं
या दिल को कागज में करूं रूबरू ....-
Jio aur jine do😍👍
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सोचती हूं की भाग पाऊंगी तुमसे ,
तुम्हारी यादों से,बातों से,वो ख्वाब की मुलाकातों से,
पर ये क्या ?
हर कदम पे टोक रहे हो !
कभी कांटा बन के चुभ रहे हो,
कभी अंजना एहसास दिला रहे हो,
बहत हो गया ए बेदर्दी मुझे छोड़ दो
जब रास्ता मुड़ ही लिया है तो मुझे भी मोड़ने दो ।-
अपनी नाकामयाबी के जश्न मनाते है अक्सर ,
कभी तुझपर गुस्सा तो कभी प्यार लूटा कर ।-
सुना है ,
आजकल तरस रहे हो,
जाने हमारी दुआ या किसी की
बद दुआ में, असर हो रहे हो ,
बताना जरा हाल अपना ,
जैसे हम तड़पे
क्या अब तुम भी वैसे
तड़प रहे हो?-
आओ कुछ करें,
कुछ तुम करो ,कुछ हम करें,
वो बातों ही बातों में को जाना,
फिर चुपके से मेरे लटों को सुलझाना ,
बस इतनी सी ही तो ख्वाइश है,
में तेरी और तू मेरा है ।-
ये इश्क होता क्या है ?
कभी हवाओं के साथ बह जाना है ,
तो कभी घटाओं संग मिल जाना है ,
चाहे हम कुछ भी लिख दे ,
पर दिल में हमेशा एक ही सवाल होता है ,
ये इश्क होता क्यों है ?-
उस गली में दिल लगाने को ,
फिर मेहबूब से दिल तुड़वाने को ,
ना कर फिर वो खता ए दिल ,
अब नहीं मुझमें और हिम्मत,
तेरे यार पे दिल हारने को ।-
उसके नाम से अपना नाम
मत रखा करो दुनिया वालों,
कानों में गूंजती है तो ,
सब छोड़ गली में
पागल सी भागने लगती हूं ।-