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जब भी मैं लिखने बैठूं,
ख़्यालों में तुम आ जाते हो।
शब्दों की सुनहरी सरगम में,
यार तुम्हीं छा जाते हो।
कागज भी खिलने लगते है,
जब जिक्र तुम्हारा होता है,
चितवन की चंचल चाहत को,
तुम इतना क्यों भा जाते हो?
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यूँ ना बैठ मायूस हो होकर ।
दिल में धैर्य तू धर तो सही,
ऐसे ना रो मदहोश... read more
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हमारे पास तुम रहना,
कभी भी रूठ मत जाना।
मुसीबत चाहे जो भी हो,
कभी तुम टूट मत जाना।
जमाने के छलावो से,
अभी अंजान हो यारा,
अकेला छोड़कर मुझको,
अकेले छूट मत जाना।-
पीत रंग से धरा महकती,
मार्च तुम्हारा स्वागत है।
होली की मदहोशी चढ़ती,
मार्च तुम्हारा स्वागत है।
नग, कानन उपवन में,
मस्ती से चटका चहक रही,
खग कलरव लगता अति सुंदर,
मार्च तुम्हारा स्वागत है।-
तुम लाख कोशिश करलो,
मुझे गिराने की।
मैं जमीं से जुड़ा दरख़्त हूँ,
बारिश में फिर निकल जाऊँगा।
काट दो, मुझे टुकड़ों में,
तुम मेरे हो, तुम्हारी मर्जी,
मैं तो फिर भी इस दुनियां में,
सिर्फ़ तुम्हें ही चाहूँगा।-
सवेरा फिर से आएगा,
रोते को सहारा दे
उन्हें दिल से हँसायेगा।
कभी मायूस ना होना,
तमस को देखकर यारों,
कभी पतझड़ है जीवन में,
कभी सावन मुस्कायेगा।-
निज युक्ति में भी अनसुलझे हैं हम।
ताना बाना बुनते रहते
औरों से जंग लड़ने को
चित्त में गरल छिपाकर बैठे
दिखते तो सब सुलझे हैं हम।-
वादियां वीरान लगती
आजकल क्या हो गया,
नीर में ज्वाला सुलगती
आजकल क्या हो गया।
चंद ख़्वाहिशों के लिए
रिश्ते - नाते टूट जाते,
फ़ानी दुनियां ना समझती
आजकल क्या हो गया।-
मुसीबत से न घबराना।
पग धर के पथिक पथ पर,
कदम पीछे न सरकाना।
तमस का आवरण हरदम,
तुम्हारे सामने होगा,
सब्र करके आगे बढ़ना,
तम में खुद को न भटकाना।-
जख़्मी हुआ है शायद,
मेरे दिल को इस बात का,
एहसास हो रहा है।
उसे पागल कहूँ या आशिक़,
कुछ तो बताओ यारों,
मुझे बे इंतिहा रुलाकर,
वो ख़ुद भी रो रहा है।-
एकाकी जीवन नित, नई सीख सिखलाता,
चिंतन मनन कर, सुमन सा इठलाता।
चिंताओं को चित कर, उम्मीदें सहेजकर,
बाधाओं को पार कर, मंज़िल पे पहुँचाता।
सूरज व चाँद जैसे, आलोकित रहने को,
एकांत जीवन हमें, कई बातें बतलाता।
स्वयं में मस्त रहना, शत्रु को पस्त करना,
भू सा अडिग रहना, पाठ हमें समझाता।-