सोच कर निकला था तेरे दिल की गलियों में....
कि चाहूंगा इस कदर तुझे,जैसे किसी और ने कभी किसी और को न चाहा हो।
मालूम न था इस मन को,कि इस बाजार में तेरे हम से चाहने वाले बहुत हैं।।

- सनातनी_जितेंद्र मन