कुछेक पीड़ाओं का कारण,
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ये दर्द भी कितनों ने सहा है,अभी कितनें सहेंगे।
तड़प सह लेंगे, मर जायेंगे फिर भी मगर,वो आह तक न भरेंगे।।

- सनातनी_जितेंद्र मन