सुप्रभात
ईश्वर ने हमारे शरीर की रचना कुछ इस प्रकार की है कि ना तो हम अपनी पीठ थपथपा सकते हैं,और ना ही स्वयं को लात मार सकते हैं। इसलिए हमारे जीवन में मित्र और आलोचक होना जरुरी है !
स्वस्थ रहे मस्त रहे— % &-
सुप्रभात
वृक्षे सीदन्पक्षी शाखाखंडनान्न बिभेति।
यतः सः शाखायां न स्वपक्षायोस्तु विश्वसिति॥
भावार्थ-: एक पेड़ पर बैठा पक्षी कभी शाखा के टूटने से नहीं डरता क्योंकि उसका भरोसा शाखा पर नहीं बल्कि अपने पंखों पर है।
जय श्री राधे— % &-
सुप्रभात
अनायासेन मरणम् बिना देन्येन जीवनम्।
देहान्त तव सानिध्यम् देहि मे परमेश्वरम्॥
अर्थात~ बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो और कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर न पड़ें, कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हों। परवशता का जीवन ना हो। कभी किसी के सहारे ना रहाना पड़े। जब भी मृत्यु हो तब भगवान के सम्मुख हो। हे परमेश्वर ऐसा वरदान हमें देना।-
सुप्रभात
"वही जीवित है जिसका
मस्तिक ठंडा, रक्त गरम,
हृदय कोमल और पुरुषार्थ प्रखर है...!
आपका दिन मंगलमय हो-
🌞सुप्रभात🌞
अमृतं चैव मृत्युश्च द्वयं देह प्रातिष्ठितम्।
मोहादापद्यते मृत्यु:सत्येना पद्यतेऽमॄतम्।।
भावार्थः- "मृत्यु तथा अमरत्व दोनों एक ही देह में निवास करते हैं। मोह के पीछे भागने से मृत्यु आती है तथा सत्य के पीछे चलने से अमरत्व प्राप्त होता है।"
🚩जय श्री राधे🚩-
सुप्रभात
उत्साह-उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।
सोत्साहस्य हि लोकेषु न किञ्चदपि दुर्लभम् ॥
भावार्थ :- उत्साह बड़ा बलवान होता है; उत्साह से बढ़कर कोई बल नहीं है । उत्साही पुरुष के लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है।
जय श्री राधे-
शुभ दिवस
तक्षकस्य विषं दन्ते मृगेन्द्रः पच्चाडुलम् !!
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम !!
भावार्थ :-शास्त्र कहते हैं कि विषैले तच्क्षक नागराज का विष उनके दांतों में होता है, जंगल के राजा शेर के पंजे में विष पाया जाता है, बिच्छू का विष उसकी पूंछ की नोक में होता है, किन्तु नीच और दुष्ट प्रवृत्ति के मनुष्य का तो संपूर्ण शरीर ही विषयुक्त होता है, ऐसे मनुष्यों से साधु पुरुषों को बचना चाहिये !!
जय श्री राधे
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सुप्रभात
क्वचिदर्थ: क्वचिन्मैत्री क्वचिद्धर्मो क्वचिद्यश:।
क्रियाभ्यास: क्वचिच्चेव,चिकित्सा नास्ति निष्फला।।
(चरकसंहिता)
अर्थात 👉 चिकित्सा कभी निष्फला नही होती, कहीं पर मित्रता हो जाती है, कहीं पर अर्थ की प्राप्ति हो जाती है। कभीं पर यश और सम्मान मिल जाता है, कहीं पर पुण्य और धर्म की प्राप्ति हो जाती है। यदि कुछ भी नहीं मिले तो चिकित्सा का क्रियाभ्यास तो निश्चित ही मिलता है।-
🌻सुप्रभात🌻
मूढ़ैः प्रकल्पितं दैवं तत परास्ते क्षयं गताः।
प्राज्ञास्तु पौरुषार्थेन पदमुत्तमतां गताः।।
भावार्थ- भाग्य की कल्पना मूर्ख लोग ही करते हैं।
बुद्धिमान लोग तो अपने पुरूषार्थ, कर्म और उद्द्यम के द्वारा उत्तम पद को प्राप्त कर लेते हैं।
🌼 राधे राधे 🌼-
सुप्रभात
उन्नति के लिए...
कल्पना की सीढ़ियों को देखते रहना ही पर्याप्त नहीं ....
उन पर चढ़ना भी ज़रुरी है।
🙏जय श्री राधे🚩🚩-