बस भी कर ए जिंदगी तू कितना रुलाएगी
गलत फ़ैसले ले लिए थे हमने,
उसकी सज़ा तू कब तलक सुनाएगी ।
अब तू, कोई मदद ना भेजना
एक एहसान कर दे
इस दिल को पहले जैसा लाल कर दे।
कोई मोहब्बत नहीं चाहिए
एक हौसला अदा कर दे
अंधेरी सी ज़िंदगी में, एक रोशनदान दे दे।
खून मेरा है, पर हर कतरा लगे उधार का
ए ख़ुदा! एक रहम कर
इस शरीर को, मुझसे मोहब्बत करवा दे।
हर दर पर बैठा मर्ज़ है आज
एक, फ़रमान अब तू जारी कर
या तू खुद जमीं पर आ, या कुदरत को अगाह कर दे!!
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