हम राही किस राह के हैं,
भटके हुए से हैं ये किनारे भी यहां तो,
अब कुदरत के कायदे किस काम के हैं,
हमी से तो रौशनी है,
हमीं से संसार है,
जानें कौन सी किन कोशिशों में प्रश्नो का भ्रमजाल है?
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"अपनों का प्यार जितना मिले कम ही लगता है,
एक बार पड़ी डांट महीनों याद रहती है....."-
बातों का कोई दोष नहीं,
बातें बस यूं ही खामखां परेशान कर जाती हैं।-
बातों का कोई दोष नहीं,
बातें बस यूं ही खामखां परेशान कर जाती हैं।-
इन किताबों में ऐसे खोए कि, अब कोई पहचान पूछता है तो हम किताबों में नज़र आते हैं।
जीवन की गहराईयों का मूलमंत्र किताबों के द्वारा सीखते और सीखाते हैं।-
गाहे-बगाहे हमसे हमारा नाम मत पूछो,
बस इतना जान लो के मैं भी एक स्त्री एक औरत उसी मूरत सी दिखती हूं,
जिस स्त्री रुप के मूरत की तुम मंदिरों में पूजा किया करते हो,
आरती उतारते , वरदान मांगते हो,
कभी उस मंदिर के मूरत को ध्यान से देखना ,
स्वयं की आत्मा की आवाज़ भी सुनना,
शायद वो देवी की मूरत ,
तुम्हे तुम्हारे सवालों के जवाब दे जायेे,
और तुम आते जाते गाहे-बगाहे मुझसे कभी मेरा नाम ना पूछो,
शायद........
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हम हर अगले इतवार तक के समय को गिन गिन के बिताते हैं।
जानें कौन सी कहानी है ये,
हम इसे किताबों में छुपाते हैं।-
सबसे बेहतर कौन है यहां?
सिर्फ बातों का शोर है यहां।
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जानें कौन से मौसमों की पैमाईश हैं,
दीया जलता कहीं और है और दूर तलक उजालों की परछाई है,
जानें कौन से मौसमों की पैमाईश है,
किन्हीं सपनों में खोकर फिर उन्हीं मंजिलों की फरमाइश है,
रूक रूक कर कई आवाजें इन रास्तों पर बेवजह पीछा किया करतीं हैं,
अब जाने क्यूं ?बस क़दम ना रूकें इतनी सी गुज़ारिश है,
जानें कौन से मौसमों की पैमाईश है?
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"कोशिशों को यूं ही जाया ना करो,
जिंदगी के हर नजरिए को यूं ही झुठलाया ना करो,
कबसे खड़े हो तुम यादों की कतारों में,
अब बस भी करो,
आज की जिंदगी के हर पहलू से नजरें मिलाया भी करो"
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