Smriti Rai   (स्मृति राय)
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Joined 6 November 2020


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Joined 6 November 2020
12 AUG 2021 AT 21:40

सब्र रखूंगी...।।

ठाना था मैंने,
सब्र रखूंगी।
बस पल दो पल की बात ही तो थी,
पर थोड़ी आँखों में नमी और
चेहरे पर उदासी अपनी छाप छोड़ने
की कोशिश में लगी रहती थी।
मगर ठाना था मैंने,
सब्र रखूंगी।
चल रही थी, सालों से मैं
एक जर्जर रास्ते पर
सहसा ठोकर खाकर गिर गई,
मेरा मन और थम-सी गई थी साँसे,
सिर्फ़ थमी थी, छुटी नहीं थीं
क्योंकि ठाना था मैंने,
सब्र रखूंगी।
एक दिन क्षण-भर के लिए प्रतित हुआ,
जैसे, हौंसले की घड़ी का समय
बिता जा रहा है
और मेरी आत्मा भंवरजाल में
फंसती चली जा रही,
उसके पश्चात
हताशा ने मेरे हृदय में,
अपना आलय बना लिया
मगर ठाना था मैंने,
सब्र रखूंगी।
अब कोहरा छटता हुआ प्रतित हो रहा है
और मैं अँधेरों की रौशनी बनती हुई।

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30 JUL 2021 AT 21:34

अपने पंखों को आज़ाद रहने की इजाज़त देना,
क्योंकि अब हवा ने अपना रुख बदला है,
अब मन में केवल उसे स्पर्श करने की इच्छा नहीं,
उसे चीर कर पार करने का जुनून सिर चढ़ा है।

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1 JUL 2021 AT 21:52

तेरे यादों को संजो कर रखा है मैंने...

तेरे पायल की छन-छन में,
तेरे चूडियों की खन-खन में,
तेरे बालियों की झंकार में,
तेरे दुपट्टे की खुशबु में,
तेरे मासूम तस्वीरों में...
बस छोटी-छोटी खुशियाँ
तलाश रहा हूँ इनके सहारे।

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23 JUN 2021 AT 13:22

चल-चलने की होड़ लगी हुई है,
इसी बीच नोक-झोंक भी जारी है,
और हसीं के गुब्बारे फूटे जा रहे है,
अब बस थोड़ी-सी डांट की कमी खल रही है,
बाकी ज़िंदगी सुकून से कट रही है।


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27 MAY 2021 AT 13:35

ये बारिश की बूंदे ही तो है।
जो पत्तों की हरियाली,
फूलों के रंग- बिरंगे,
शुद्ध वातावरण
और हमारे विचलित मन में
छुपी हुई शान्ति का प्रतीक है।
ये बारिश की बूंदे ही तो है।

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17 MAY 2021 AT 20:15

चल रहे रस्ते पर
जगनुओं के संग,
कैसे समझाए इस दिमाग़ को
की हो गए है हम
इनकी रौशनी में
मलंग...

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31 MAR 2021 AT 23:27

अपने ख़्वाब को पूरा करने के लिए समंदर से भी भिड़ना पड़े तो कतराना मत कभी।

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2 MAR 2021 AT 14:21

खुशियों का हाथ थाम चल-चले,
एक सुकून भरी अंगड़ाई ले
और सफ़र पर निकल पड़े।

आँखों की चमक का सुरूर ही
कुछ ख़ुशनुमा सा है,
जिसकी रौशनी से जगमगा सा रहा
हमारा सफ़र है।

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5 FEB 2021 AT 18:54

खुशियों की सौग़ात लेकर यह पतझड़ का मौसम आया है,
बारिश के संग, भीगी मिट्टी की ख़ुशबू बिखेर आया है,
आपकी एक मुस्कुराहट के लिए, पतझड़ फिर आया है।

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5 FEB 2021 AT 18:38

आप ख़ुद से अपने आपको तरशो,
आपको अपने सारे सवालों के जवाब जरूर मिलेंगे।

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