Smriti Pathak   (iShU)
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Joined 22 May 2018


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5 SEP 2021 AT 0:47

न जाने क्या क्या समेटे है समंदर ,
एकटक देख रही हूँ किनारे से,
लहरे आती है पूछने,
क्या जान पाए तुम है,
इस संसार का खेल।

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29 DEC 2020 AT 19:01

देर लगी लेकिन जान गए,
दर्द बाटने से कम नही,
बल्कि दोगुना हो जाता है।

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14 DEC 2020 AT 2:54

कलम उठाई जब,
तब यह सोचने पर,
मजबूर हो गए,
क्या वे सच में इतने ज़रूरी थे,
जिनके कारण हम,
आज चकनाचूर हो गए।

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2 SEP 2020 AT 23:02

मैं मजदूर हूँ,
पर मुझे मजबूर मत समझना,
माना आज रोज़गार नही है मेरे पास,
पर हो सके,
तो मेरी मदद करते वक़्त,
मुझे फ़क़ीर मत समझना।

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31 AUG 2020 AT 23:52

छल ,कपट, ईर्षा, द्वेष ,
जैसी भावनाये मुझमे भी है,
इस सत्य से ,
मैं इनकार नही करती,
पर तुझमें और मुझमें ,
फर्क बस इतना है,
कि तेरी तरह ,
मैं इनका इस्तेमाल नही करती।

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21 JUL 2020 AT 19:19

मेरी ज़मीन तो लड़ झगड़ कर ,
छीन लोगे मुझसे,
पर जाते जाते बस इतना बता दो,
कि आसमान का बटवारा कैसे करोगे?

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21 JUL 2020 AT 0:27

मुझे उसकी मुस्कान थी,
याद कर उसे ,
आज भी आ जाते है आँसू,
क्योंकि यारो वो मेरी जान थी।

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2 JUL 2020 AT 12:55

सुनाने को तो बहुत कुछ है,
बस कोई सुनने वाला चाहिए,
समझ तो सब लेंगे ,
बस कोई समझाने वाला चाहिए।

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12 JUN 2020 AT 0:21

इश्क़ में धोखा खा कर,
अब कभी
दुख नहीं होगा मुझे,
क्योंकि हम वो खुशनसीब है,
जिसके दोस्तों ने,
ये ज़िम्मेदारी भी ले रखी है।

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11 JUN 2020 AT 13:03

कभी मत जानो,
तुम जो जीवन में चाहो,
मेहनत कर,
अपनी लकीरों को,
खुद वैसा बना ढालों।

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