कुछ दिनों से मन में किसी के लिए किसी भी तरह का
न कुछ कहने का मन करता है न कुछ ज्यादा सोचने का
हा, सोचा करती थी पहले मैं खूब
अब मन अटल है, अब मन निष्पक्ष है..
जिन्हे टोकते रहते थे अपनी बात बताने के लिए रोज़-रोज़
अब उनको भी और कुछ कहने का मन नहीं करता
क्या है लॉकडाउन का असर या बस जान लिए है उनके कुछ अनकहे बात..
या बस यह समझ आया है की हम नही है इतने भी कुछ खास
जो है वह अच्छा है बोलने का न अब कुछ बचा है
ना उनकी तरफ से भी उन्हे न कुछ कहना है
कितना हम ही कहे
अब हमे भी चैन करना है
कुछ दिनों से मन में किसी के लिए किसी भी तरह का
न कुछ कहने का मन करता है न कुछ ज्यादा सोचने का
हा, सोचा करती थी पहले मैं खूब
अब मन अटल है, अब मन निष्पक्ष है..
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