सबसे अनजान, सबसे दूर, कहीं गुम होना चाहती हूं,शिकायतें, तकलीफें, उम्मीदें, इन सारी चीज़ों से महरूम होना चाहती हूं,ना किसी का दर्द बनना, ना किसी के प्यार के योग्य होना चाहती हूं,बस अपने अंदर के भारीपन को निकाल,मैं आज शून्य होना चाहती हूं। -
सबसे अनजान, सबसे दूर, कहीं गुम होना चाहती हूं,शिकायतें, तकलीफें, उम्मीदें, इन सारी चीज़ों से महरूम होना चाहती हूं,ना किसी का दर्द बनना, ना किसी के प्यार के योग्य होना चाहती हूं,बस अपने अंदर के भारीपन को निकाल,मैं आज शून्य होना चाहती हूं।
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तुझसे मजबूरी का नहीं, मर्जी का रिश्ता जुड़ा हैं,तू किस्मत से नहीं मेरी मन्नतों से मुझे मिला हैं,हां तुझे खोने का ख्याल कभी आया ही नहीं मेरे जहन में,क्योंकि तुझे मेरे साथ मेरी रूह ने भी पाया हैं। -
तुझसे मजबूरी का नहीं, मर्जी का रिश्ता जुड़ा हैं,तू किस्मत से नहीं मेरी मन्नतों से मुझे मिला हैं,हां तुझे खोने का ख्याल कभी आया ही नहीं मेरे जहन में,क्योंकि तुझे मेरे साथ मेरी रूह ने भी पाया हैं।
बहुत कुछ कहना था तुमसे, मगर बातें अधूरी रह गई,बहुत कुछ सुनना था तुमसे, मगर मुलाकातें अधूरी रह गई,बिन बताए तुम्हारा वो जाना मुझे समझ नहीं आया,और बस तुम्हे तुमसे बेहतर जानने की ख्वाहिशें अधूरी रह गई। -
बहुत कुछ कहना था तुमसे, मगर बातें अधूरी रह गई,बहुत कुछ सुनना था तुमसे, मगर मुलाकातें अधूरी रह गई,बिन बताए तुम्हारा वो जाना मुझे समझ नहीं आया,और बस तुम्हे तुमसे बेहतर जानने की ख्वाहिशें अधूरी रह गई।
तुझसे इस कदर हैं रगबत,किसी और से राब्ता क्या होगा,तूने बरसाई हैं ऐसी अज्मत,किसी और से वाबस्ता क्या होगा,तेरे सिवा मेरी ज़िंदगी में अब कोई मशिय्यत नहीं,हां,तू ही मेरा कल,आज और हर दफा होगा। -
तुझसे इस कदर हैं रगबत,किसी और से राब्ता क्या होगा,तूने बरसाई हैं ऐसी अज्मत,किसी और से वाबस्ता क्या होगा,तेरे सिवा मेरी ज़िंदगी में अब कोई मशिय्यत नहीं,हां,तू ही मेरा कल,आज और हर दफा होगा।
खुद के लिए कुछ पल निकाली, मगर उस पल में भी तुम्हें सोच बैठीअब तुम अंदाज़ा लगा लो, मैं किस हद तक तुमसे मोहब्बत करती❤️ -
खुद के लिए कुछ पल निकाली, मगर उस पल में भी तुम्हें सोच बैठीअब तुम अंदाज़ा लगा लो, मैं किस हद तक तुमसे मोहब्बत करती❤️
किसी के ख्यालों में बसू ये मुझे नहीं गवारा,मसर्रत तो तब होगी जब उसके असल–हाल में हो वजूद हमारा -
किसी के ख्यालों में बसू ये मुझे नहीं गवारा,मसर्रत तो तब होगी जब उसके असल–हाल में हो वजूद हमारा
मेरी कशिश किसी हादसे से कम नहीं,नज़रे मेरी लगाती हैं आतिशें हर कहीं,अब सितमगर कहलो या कहलो शाहकार,क्योंकि शमशीर से नहीं फकत बातों से करती हूं मैं वार। -
मेरी कशिश किसी हादसे से कम नहीं,नज़रे मेरी लगाती हैं आतिशें हर कहीं,अब सितमगर कहलो या कहलो शाहकार,क्योंकि शमशीर से नहीं फकत बातों से करती हूं मैं वार।
इनायत उल्फत का यूं ही बरकरार रहे,हर मकाम पर ये नूर बे–शुमार रहे,खुदा से मुराद बस इतनी ही हैं मेरी,तसव्वुर से सदाकत तक तमन्ना उसी की हर बार रहे। -
इनायत उल्फत का यूं ही बरकरार रहे,हर मकाम पर ये नूर बे–शुमार रहे,खुदा से मुराद बस इतनी ही हैं मेरी,तसव्वुर से सदाकत तक तमन्ना उसी की हर बार रहे।
आज आईने में देख मैंने एक सवाल किया,तेरी चाहत ने या तेरी कुर्बत ने मुझे इस कदर निखार दिया,देख खुद को शीशे में मैं खुद से ही शरमाने लगी,पर फिर नजर ना लगे इसलिए नजर उतार लिया। -
आज आईने में देख मैंने एक सवाल किया,तेरी चाहत ने या तेरी कुर्बत ने मुझे इस कदर निखार दिया,देख खुद को शीशे में मैं खुद से ही शरमाने लगी,पर फिर नजर ना लगे इसलिए नजर उतार लिया।
बेढ़ंगे रास्ते पर अब ढंग से चलना आ गया,डर के साथ साथ डटे रहने का हुनर भी समा गया,मगर हिम्मत तब और बढ़ गई,जब कोई अपने साथ होने का एहसास दिला गया। -
बेढ़ंगे रास्ते पर अब ढंग से चलना आ गया,डर के साथ साथ डटे रहने का हुनर भी समा गया,मगर हिम्मत तब और बढ़ गई,जब कोई अपने साथ होने का एहसास दिला गया।