Smita Upadhyay  
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Joined 21 February 2019


Joined 21 February 2019
16 JUN AT 21:08

मेरे दर्द को

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15 JUN AT 19:32

रूह के रिश्तों की.,
यही खूबी है
महसूस हो ही जाती
कुछ बातें अनकही सी

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12 JUN AT 17:00

कभी कभी इंसान थक हार कर ठीक वैसा ही बन जाना चाहता है
दुनिया जैसा उसपर इलज़ाम लगाती है...
सफाई देने से ज्यादा आसान लगता है शायद जो जैसा समझे वैसे हो जाना...

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25 MAY AT 17:19

अज़ीब है ना...
उससे प्रेम ही है मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी...
और उससे प्रेम ही है मेरी सबसे बड़ी ताक़त...

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25 MAY AT 17:14

कभी कभी कुछ न कहने से
बहुत कुछ महसूस हो जाता है

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24 MAY AT 18:26

अज़ीब है ना...
उससे प्रेम ही है मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी...
और उससे प्रेम ही है मेरी सबसे बड़ी ताक़त...

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24 MAY AT 17:58

जाने की जल्दी में लोग...
अक्सर भूल जाते हैं...
सब-कुछ कहाँ ठीक से बंद कर पाते हैं...

कभी कोई खिड़की उम्मीद की...
तो कभी कोई दरवाज़ा इंतज़ार का...
ज़रा-सा खुला छोड़ ही जाते हैं...
लोगों को तो ठीक से जाना भी नहीं आता...

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24 MAY AT 17:53

ये कैसी कश्मकश है कैसे किसे बताएं...
रोना भी आ रहा है और रो भी न पाए...

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23 MAY AT 20:18

कभी-कभी सबकुछ ठीक है के बीच ये समझ नहीं आता कि आख़िर क्या है जो ठीक नहीं है...

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5 MAY AT 10:00

मरने से पहले एक बार...
कुछ अच्छा वक़्त गुज़ारना चाहती हूं...
क्या मैं कुछ ज़्यादा चाहती हूँ???

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