Smita Sapre   (Smita)
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Joined 16 February 2020


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Joined 16 February 2020
9 SEP AT 23:00

उजाले की राह नही तकता
खुद रोशनी की चिंगारी बन जाया करता है।

जहां कुछ दिखे नहीं सुझे नहीं
वहां उम्मीद की किरण पर
कदम बढ़ाया करता है।

क्योंकि चकाचौंध में जो हीरा खो जाता है
स्मित वो अक्सर अंधेरे में ही चमका करता है।
स्मिता✍️




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9 SEP AT 5:49

क्यूं कर अक्सर गुजरा वक्त याद आता है
दिन भर की थकान को शायद बचपन का
कोई लम्हा ही मिटा पाता है।
तन मन इस वक्त सिर्फ
अपने आप में रहना चाहता है।
चाय की प्याली, किसी किताब का पन्ना
या हो छत का कोई कोना
इन सबका सहारा स्मित
दिल को गहरा सुकून दे जाता है।

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6 SEP AT 18:01

गाने का शौक है तो
कोई राग गाइए
अपना दुखड़ा नहीं
समस्या आपकी है
तो समाधान भी
आपका ही होगा
दूसरों का नहीं...

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6 SEP AT 17:43

तुम एक अकेले अपने वादे के पक्के हो
आने जाने को निश्चित समय रखते हो।
आते समय खुशी और जाते समय
पलकों की कोर भीगा जाते हो।
गणेशा सिद्धि बुद्धि के ज्ञाता
इंसा तो इंसा भगवानों को
भी तुम्हारे आने का इंतजार रहता क्योंकि
तुम्हारे बाद ही उनका नंबर आता।
जय श्री गणेश🙏🙏💐
स्मिता✍️😔


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4 SEP AT 18:13

इंद्रियों के वश के लिए
ध्यान बताते हो कृष्णा
और इस राधा के ध्यान में
फिर तुम आ जाते हो कृष्णा
ध्यान भी तुम ध्यास भी तुम
फिर लगता है सच हो तुम
या भास हो तुम... स्मित✍️

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3 SEP AT 12:52

कब करते है ये तन को आहत
पर मन को छलनी करने की
छुपी होती है इनमें ताकत

दवा का भी ये काम कर जाते
बेशक मर्ज तन का नहीं
पर मन के घाव भर जाते।

विष या अमृत जो भी शब्द मुँह से निकालो
याद रखना ये आप पर भी अपना असर
यक़ीनन ही है दिखाते..

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1 SEP AT 17:28

कृष्ण को पूजते हो
पर प्रेम नहीं कर पाते हो।
जब तक मुझे चाहोगे स्मित
कुछ अधूरा आधा
न तुमको कृष्ण मिलेगा और
न मिलेगी राधा...

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1 SEP AT 17:18

कुछ पूरी हुई, कुछ रह गई
कुछ ने इतना समय लिया कि
मोल न रहा, कुछ
मोल चुकाकर भी
मिल न पाई।
कुछ हसरतों को दुआ प्यार ने
पूरा किया और स्मित
जो रह गई उसको दिल ने
ऐसे ही कबूल किया।
स्मिता✍️

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1 SEP AT 17:11

काजल कब आंखों की नमी को
थाम पाया है।
ये रिश्तों का भंवर कौन
सह पाया है।
ये ज़िंदगी ऐसी ही है स्मित
जिसमें धूप अधिक
और थोड़ी सी
छाया है..

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31 AUG AT 9:44

जिसके बना संसार अधूरा
पर वो कान्हा राधा बिन
नहीं होता पूरा।
जैसे शक्ति बिन शिव
सीता बिन राम,धरती बिन आकाश
ये न मिले तो पूर्णत्व को
सदा रहता अवकाश

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