बिना कोई दुआ मांगे तुम जिदंगी में आए,ओर खालि हाथ नही , कुछ अनलोल खुशिऔं के पल लेके आए।।
आदत नही थी दिल को ईतनी खुशिओं की..नासमझ सजदा करने लगा ,चाहा कि यह खुशिआं तुम बनकर . हमेशा उसके पास रहे।।
ओर जब सजदा मुकमल करने की बारि आई,तुम अपने खुशि के तलास में कहीं ओर चले गये..
अब दिल को ईसी बात की सिकायत हे कि ,आए थे बिन बताये ,चले जाते वैसे ही,जाते समय कूयौं दर्द की बजा बनकर गये।।जिदंगी जिने कि बजा थे तुम ओर मोत जेसी सजा कि बजा बन गए।।
-