ये वक्त भी गुज़र जाएगा,
सब्र कर!
तुझे जो सुनाई दे रही है वो आहट,
ज़रा गौर से सुन तो सही,
बस ये दस्तक तेरी मुस्कान लाएगा।
तू सब्र रख!
ये तो पूस की रात है, अमावस की नहीं।
चिंगारी की ज़रूरत है, तेरे खून में तप रही वो गर्माहट है।
थम तो बिल्कुल नहीं पर मुस्कुरा तो दे ज़रा,
उस मुठ्ठी को खोल तू जिस मुठ्ठी में तेरी किस्मत का घड़ा है भरा।
ढीट बन जा और बस अब उस आहट को सुन,
ज़रा गौर से, जो तेरी सुकून का पिटारा है।
ये मेहनत, तेरी मेहनत एक दिन तुझे पूर्णिमा की रोशनी की सैर भी कराएगा!
धूप ही तो है, तलवे तपेंगे नहीं तो गति कहां से लाएगा!
टटोल ज़रा खुद की काबिलीयत को तू,
खुद को निखारने की श्रमता भी है तुझमें।
बस तू सब्र रख!-
ज़रूरत न थी इश्क के मुकम्मल होने की,
चंद भर का साथ तो ढंग से निभाया होता!
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तुम मुझसे दूर रहो,
मैं तुम में गुम सी जाऊंगी।
पर तुम मेरे पास ना हो
तो मैं तुम्ही में खो सी जाऊंगी!
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काश की कीमत इतनी थी कि उस काश में लिपट जाने में ही थी मेरी महफ़िल!
पर हमारे उन काश भरे लम्हों कि गुज़ारिशें कुदरत के कश में अब सिमट सी गई थी!
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चाय के प्याले से सुस्की लेते होटों पर मंद-मंद मुस्कान जो छुपाए ना छुपे,
अनन्त काल से चले आ रहे उस अप्रतिम भावना में छिपे प्यार का वो पहला एहसास!!
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Zindagi tera to hisab hi gadbad hai,,
Zubaan pe taala to dil me daldal hai!!-
इस बीमारी का कोई नाम नहीं पर है ये लाईलाज!
ईक तरफा मोहब्बत कहते हैं लोग इसे पर हम तो ईबादत मानते हैं अपनी।
ऐसा नहीं है कि इज़हार ना कर पाएँगे हम
पर हाँ...
ऐसा है कि इस इज़हार से उनकी खामोशी के इनकार को भी नजरअंदाज ना कर पाएँगे हम!
ईक तरफा मोहब्बत है हमारी ये,
बड़े ही सुकून से निभाते हैं हम।
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It started from the never ending talks
to
living under the same roof with epic silence..!!
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