ना गमों का बादल हटता हैं
ना आशाओं का अम्बर घटता
जाने किसकी ख़्वाहिश में
हर रोज ये मन भटकता हैं
उलझन भरी इन राहों में
गिरता कभी संभलता हैं
तो कभी अकेलेपन कि आग में
बुझता कभी ये जलता हैं
ना मुश्किलों का कारवां कमता हैं
ना मंजिलो का अरमां थमता हैं
जाने किसकी लग्न में ये
तील- तील करके रोज सुलगता हैं
ना गैरो कि कोई खबर है इसे
ना अपनो का पता कुछ चलता हैं
जाने किसकी ख़्वाहिश में
हर रोज ये मन भटकता हैं
- स्मिता भारती
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लोग अक्सर हमसे कहते हैं के अंदर काफी दर्द छिपा रखा ... read more
दिल में कई सवाल लिए हर रोज उलझ सी जाती हूँ
फिर खुद ढूंढती जवाब सभी और खुद समझ भी जाती हूँ
रोज टुटते ख्वाब कई हर रोज अखड़ सी जाती हूँ
फिर रोज सजाती ख्वाब नयी और रोज निखर भी जाती हूँ
खुशियां मिलती हर रोज नयी तो रोज नया गम पाती हूँ
रोज समझती रिश्तों को पर हर रोज हि कम पड़ जाती हूँ
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ऐ खुदा तू बोल दे तेरे बादलों को,
मेरा यार धान रोप रहा है बारिश की जाय....
😉😆😂😜😝😆😆-
माना थोड़ा उदास है मन
फिर भी बड़ा बिंदास है मन
बैठे-बैठे हि घुम कर आ जाता
सच में बड़ा झकास है मन-
नजदीकियों में दूर का मंजर तलाश कर
छोड़ दरिया को तु अपने भीतर हि समंदर तलाश कर-
धरी की धरी रह जायेगी ये शिकवे नराजगी
वक्त गुजरने के बाद फिर कहां शिकायतें रहती हैं
आज सामने से हम जिनके हाल पूछने से बचते हैं
कल दूर जाने के बाद बस उन्ही की चाहते रहती हैं-
या तो मशहूर हो जाओगे
या फिर बदनाम हो जाओगे
एक शायर कि मुहब्बत हो
यार एैसे कैसे गुमनाम हो जाओगे-
नया नहीं है इसमें कुछ
लिखने कि मेरी आदत पुरानी है
कभी शायर दीवाना हुआ यहां
आज शायरा दीवानी हैं
दीवानगी हैं अल्फाजों का
दीवानगी है दिल के राजो का
जिसे छिपा लेते लोग बड़े सहज से
दीवानगी हैं उन एहसासो का
लिखने हैं अभी और काव्य कई
अभी और आग लगानी हैं
कभी शायर दीवाना हुआ यहां
आज शायरा दीवानी हैं
कभी ज्यादा लिखे, कभी कम लिखे
कभी खुशियां लिखे, कभी गम लिखे
पर लिखे ना जो मुहब्बत पर कुछ
तो बोलो फिर कैसी ये जवानी हैं
कभी शायर दीवाना हुआ यहां
आज शायरा दीवानी हैं
- स्मिता भारती-
जाने किस बात से वो खफा हो गए
मैंनें बस इतना कहा के,
चलो ना जान आज बाइक पर घुमते हैं
और वो लापता हो गए !😆😜😂-
ना कोई गजलें हैं मेरी ना कोई कवि हूँ मैं
बस बरसते हुए सावन के आंखों की नमी हूँ मैं
मिल जायेगें मुझसे बेहतर लाखो इस दुनिया में
मगर पूरी ना कर पाए कोई वो कमी हूँ मैं-