अब और करू तोह इंतज़ार की हद हो जाएगी
तू मुस्कुरा भी दे तोह थोड़ी मदद हो जाएगी
बतौर मुजरिम ये हड़बदाहट अब फिज़ूल लगती है
यूँ तोह नही कि पहली पेशी में ज़मानत हो जाएगी
गवाह, दलील, अदालत, इंसाफ सब तोह तेरे है
हमने गुहार लगाई भी तोह सुनवाई रद्द हो जाएगी
अब और करू तोह इंतज़ार की हद हो जाएगी
तू मुस्कुरा भी दे तोह थोड़ी मदद हो जाएगी
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Electronics Engineer
MBA in HR from XLRI Jamshedpur
हुस्न के खिलाफ न जाने कितने इश्तहार जारी हो रखे है
आशिकों से, दिलजलों की तादात भारी हो रखी है
और अब के आओ तो जुर्माना साथ ले कर आना
यहा गिरफ्तारी की तैयारी सारी हो रखी है
आशिकों से, दिलजलों की तादात भारी हो रखी है
ये नही की हमें अब किसी से मोहब्बत नही करनी
पर उसके आखरी खत की हम पर ज़िम्मेदारी हो रखी है
आशिकों से, दिलजलों की तादात भारी हो रखी है-
कुछ करो खत्म अधूरी कहानियां कुछ बिना किए छोड़ दो
मेरा चांद फलक पर है तुम यू जलाना दिए छोड़ दो
और सुन के ख़ुदा की ये जो तुम पर्दा लगाए बैठे हो
मेरी सुनो तो इस परदे को ख़ुदा के लिए छोड़ दो
मेरा चांद फलक पर है तुम यू जलाना दिए छोड़ दो-
Magic
What the fingers can feel and what lies beneath
The colours we see and the air we breathe
For time eternal it has been nothing but magic
Be it the voices we hear or the books we read
You may know it by many a names
The rainbow in the sky and the petrichor when it rains
But for time eternal it has been nothing but magic
Be it the holy water or the ritual flames
When life seems stormy and you need to fight those tides
Remember that voice inside you that guides?
For time eternal it has been nothing but magic
And made of stardust darling, it is in you that magic resides
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Never has been said something so true
And I am sure you would agree with me too
For when times are testing and you are left with no clue
Follow your heart but take your brain with you
And the fact that endeavours never go in vain
Leaves me in my mind with doubts so few
That on this quest unscathed you may not emerge
But you will snatch those victories long overdue
So trust me and without much ado
Just follow your heart but take your brain with you-
उसके कदमों तले पतझड़ फूल बरसाती है
सर्द हवाओं को वह देख ले गर एक नजर
पिघला कर पारा बर्फ जल जाती है
हाँ, देखा है मैंने मौसम को बदलते-
आँखे मिचते ही तेरा चेहरा खोज लाता हूँ
क्या तेरे भी सपनों में मै रोज़ आता हूँ?
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कुछ रिश्तों का नाम सरेआम नहीं लेते
और कुछ रिश्ते है जिन्हें नाम नहीं देते
मोहल्ले में हवा थी वह साथ है मेरे
क्या करे, हर अफवाह पे लगाम नहीं देते
कुछ रिश्ते है जिन्हें नाम नहीं देते
जायज़ होता गर ये रिश्ता तो लिख देते ग़ज़ल उसपे
यू हिज्र में आंसू बहाए हाथो में जाम नहीं लेते
कुछ रिश्ते है जिन्हें नाम नहीं देते
उसका बेवक्त जाना भी ये सीखा के गया
इन बेनाम रिश्तों को अंजाम नहीं देते
कुछ रिश्ते है जिन्हें नाम नहीं देते-
शर्त उनकी बस ये है की शायरी काबिल-ए-दाद करू
उन्हें फर्क नहीं पड़ता मै खुदको कैसे बरबाद करू
पुराने ज़ख्मों को ही खुरेदते रहु या तरीके नए इजाद करू
उन्हें फर्क नहीं पड़ता मै खुदको कैसे बरबाद करू
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