"समीक्षित"   (Samikshit)
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Joined 25 June 2020


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Joined 25 June 2020

चाय की कहानी है सालों पुरानी ,
सुनी हैं हमने दादी नानी की जुबानी ,
एक कप चाय मतलब दो पल का सुकून ,
तीन दोस्तों की महफ़िल, चार घरों की गपशप।
बारिश में राहत और सर्दियों में होती है चाय सबकी चाहत ,
कभी गेहूँ के खेतों में चाय तो कभी ऑफिस वाली चाय ,
सर दर्द की दवा, परेशानी में लगती जैसे कोई दुआ ,
कभी मीठी कभी नमकीन तो कभी मसाला चाय,
यही हैं चाय की कहानी, रंगीन और सालों पुरानी 😊

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"हकीकत"

आज जो हम हैं या फ़िर आज जो हमारा है ,
ना कल हम वो होंगे ना वो कल हमारा होगा।
हम टांगे गए होंगे किसी दीवार में,
और वो बस उस दीवार प़र तस्वीर के आकार की जगह हमारी होगी, वो भी किसी और के आने तक ,
बस यही है इंसान की हकीकत ।

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30 DEC 2023 AT 23:00

वो पास आए थे,
और हमने बारीश की तरह
"मोहब्बत" बरसा दी उन पर।

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2 AUG 2023 AT 19:29

अभी कुछ रोज पहले मिली थी तुमसे
अजनबियों की तरह पेश आए थे दोनों।
कब कैसे नमक चीनी की तरह घुल गए
हम दोनों पता ही नहीं चला,
और देखो वो खट्टे मीठे पल याद है मुझे बरसों😊 से,
जैसे अभी कुछ रोज पहले मिली थी तुमसे।

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2 AUG 2023 AT 19:15

कैसे रोक लूँ उसे जाने से ,
जब मेरे पास रुकने के लिए उसे
मुझमे "चाहत, विश्वास, दर्द, अश्रु" न दिख पाए ।।

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4 MAY 2023 AT 12:54

औरों से शिकवा क्या ,क्या गिला।
एक अकेला में ही जिम्मेदार था
मेरी खुशियों को दफन करने के लिए ।

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1 DEC 2022 AT 10:24

बस जरूरतें मेरी इतनी सी हैं,
और मुझे अब चाहिए क्या 😊

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27 NOV 2022 AT 15:31

चाहिए क्या मुझे?
सिर्फ तुम....

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20 NOV 2022 AT 2:00

कभी सोचा ही नहीं कि खुद से प्यार करूँ,
मैंने कभी सोचा ही नहीं कि खुद से प्यार करूँ,
अब जब यह ख्याल आया तो मालूम हुआ कि मुझे सच में जरूरत है मेरी ।

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19 NOV 2022 AT 23:11

शीर्षक- दो आँखें (part 1)

पहली दफा आज उसको देखा, नजर टकराए कई बार थी लेकिन जैसे आज टकराई वह पहली बार था ।
कोशिशें आज भी पूरी थी नजरे चुराई जाने की लेकिन आज हम मन बना चुके थे, तो बहुत ध्यान से और बड़े प्यार से कई दिनों बाद देखा उसे ।

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