সমাপ্তী দীক্ষিত   (সমাপ্তী✍)
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Joined 10 January 2020


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Joined 10 January 2020

दिल की बातें अधूरी, किस्से अधूरे सारे,
ख्वाबों की राहों में चलते रहते हैं यारे।
धुंधले सपनों की सच्चाई, कुछ भी नहीं है साथ,
पर हौसला है बुलंद, हर मुश्किल को साथ संभाल।

हर अधूरी कहानी मे होता है एक पुरा दास्तान,
बस उम्मीद है आख़िरी,
लेकिन कहानी की है शुरुआत।
गुज़रे वक़्त की बेअदबी में , है सबका हाल,
पर हर अधूरी तमन्ना में,
छुपी है एक खास ख़ुशी का ज्वाल।

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অনাদারে মন
মরে হৃদয়ের গভীরে,
কথা জমে থাকে মোহনার তীরে।
অধিকার জাগে যতক্ষণে নির্মম,
অভিযোগের ছায়া ততো করি নির্বাসন।

সে অপেক্ষা করে
নিঃস্ব, সংযত হয়ে,
কখনও আশায় , কখনও ছলনায়।
প্রত্যেক অবস্থান তার, মনের ধারে, স্বপ্নের গভীরে।

অনাদারের ছায়া মুছে ফেলে,
শীতল বায়ুতে পাখা মেলে
সে বিশ্রাম করে সহজ পাথে।

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একবার শুরু হয়েছিল একা,
পথ হারিয়ে, হৃদয়ে অন্ধকারে।
আশার ক্ষণ থামালেও কখনো,
মরে যাইনি।

প্রশ্ন ছিল অবাকের চোখে,
উত্তর না পেলেও হারিয়ে যাইনি ।
থেকে গেছে কিছু না বলা কথা।
কিছুটা সময়ের অপেক্ষায় ,
আর কিছুটা ছিল অনুভবের বাঁধনে।

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মুহুর্তে মুহুর্তে রং পালটায় পৃথিবী,
কিছুই পাই না তার টের ।।
ছন্নছাড়া ঘোর-দোর আমার ,
অযত্নে রাখা সব খাতা ভাগ্যের।।

মাঝখানে বয়ে যায় আস্ত জীবন ,
মিলে মিশে যায় সাদা কালো রং ।।
জ্বলে ওঠে যদিও হাজারও প্রদীপ ,
তবুও মাথা তোলে , নির্মম মৃত্যু ভয়।।

একদিন হয়তো ঈশ্বর হবে শয়তান ।
শয়তান হবে ঈশ্বরে অবতীর্ণ ।
সেদিন জ্বলবে শিখা, অন্ধকার হবে জীর্ণ ।।
ঘুচে ঘাবে সব জরা ,মুছে যাবে সব গ্লানি
সেদিন হবে আসল দীপাবলি।।
🪔 শুভ দীপাবলি 🪔

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উৎসবের আজ শেষ বেলা,
এবার মা-এর বিদায় বেলা
খুশির আলো নিয়ে গেলো
ঢাকের আওয়াজ মিলিয়ে গেলো
এবার শুরু হোক তোমার
শক্তি নিয়ে পথচলা
জানি তাতে থাকবে তোমার অপেক্ষা
তবুও শুরু হোক না
তোমার আবার আসার দিন গোনা।
শুভ বিজয়া ।

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मे ख़ुदको सम्हलना शिख गयी हू,
लोग बोलते है, मे बदल गयी हू।
लेकिन मे बोलती हूं, मे ख़ुदको जाताना भूल गयी हू।
आज भी गुस्सा आता है मुझे, लेकिन उस गुस्सा कै दावाना शिख गयी हू।
आज  भि मे मुस्कुरारी हु, लेकिन उस मुस्कान मे   ख्वाब  छुपाना सीख गई हूं।
मे ख़ुदको सम्हलना शिख गयी हू।
मे ख़ुदको सम्हलना शिख गयी हू।।

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"लम्हा लम्हा जीने की कोशिश मैंने की है,
बार-बार गिरने के बाद उठने की हिम्मत मैंने की है l
शायद उस हिम्मत मे था एक सांसो की फ़ैसला,
उस एक फैसले में पूरी ज़िंदगी मैंने जी  है।"

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हमलोगों की ताकत की पहचान तब तक नहीं चलता, जब तक खुद की कमज़ारिओं का सामना नहीं होता ll

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तेरे दर पे आने से पहले
मैं बड़ा कमज़ोर होता हूँ ,
पर तेरी दहलीज़ को छू
लेते ही मैं कुछ और होता हूँ II

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दिल का हाल सुनते हूए,
रो पड़ा था मै मुस्कुराते हूए।
दिल किसिका का भि हो,
हाल तो सबका एक हि हे।
कोई बताता है ,और कोई
चलते हे मुस्कुराते हूए।।

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