वो ना समझे ब्यां-ऐ-निगाहे
हमने भी लफ्ज़-ऐ-ब्यां की
तकल्लुफ ना की !!-
शिव से ही आज है
शिव से ही कल हैं
शिव ही रीत हैं
शिव से ही प्रीत हैं ❣️❣️
प्रिय
हम अपने प्रेम को सियासी मसलों से दूर रखेंगे...
सुना है मैंने___
सियासत में__ धर्म में अक्सर दंगे हो जाते है ;
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एक तेरे सिवा
मैं किसी को चाह
नहीं सकतीं...
तुम मेरी पहली और
आखरी मुहब्बत हो__ प्रिय
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प्रिय
मै तुमसे मुलाक़ात चाहती हूँ
हाथों में हाथ चाहतीं हूँ
इक सफर में....
तुम्हारा साथ चाहतीं हूँ
दिन बीते..
महीनों बीतें..
वर्ष बीतें..
में उस पहली मुलाक़ात के बाद
ये आखरी मुलाक़ात चाहती हूँ !!
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सुनो प्रिय__
तुम मेरी कहानियों का किस्सा हो
तुम मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा हो !!
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प्रिय....
तुम्हारा मुझसे नाराज़ होना
जायज़ है__
आखिर में भी अपने
लेंहजे से परेशां हूँ !!
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तुम तक पहुंचने के लिए
मैंने बहुत-सी यात्राएं की
प्रिय....
मगर मेरी यात्राएं
कभी ना खत्म होने वाली
यात्राएं हैं
तुम मुझसे चंद क़दमों की
दुरी में भी होते हो
तो तुम तक पंहुचना
मेरे लिए....
ब्रह्माण्ड की परिक्रमा के
सामान है....!!-