मेरे भटके हुए मन का
तू किनारा बन गया
मेरे बिखरे हुए दिल का
तू सहारा बन गया
मेरी जिंदगी में तू आया है
कुछ इस तरह-2
जैसे कब्र में पड़ी लाश को
सांसो का सहारा मिल गया-
दिल के सारे अरमान बता रही हूं तुम्हें
अपनी ख्वाहिशों को सरेआम बता रही हूं तुम्हें
यह शायरी यह ग़ज़ल गीत सब बहाने हैं
सच कहूं तो अपनी जिंदगी में बुला रही हूं-
कोई शिकायत तेरे दिल में दबी हो जैसे
तूने आंखों से कोई बात कही हो जैसे
हर मुलाकात पर महसूस यही हुआ है
मुझसे कुछ तेरी नजर पूछ रही हो जैसे
एक लम्हे में सिमट गया है सदियों का सफ़र
जिंदगी हवा सी तेज चल रही हो जैसे
इस तरह तुझे सोचता रहता हूं
मेरी हर सांस तेरे नाम लिखी हो जैसे
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जिंदगी की राहों में नया मोड़, नई रफ्तार आ गई|
मेरे लिखी कहानियों में तुम सी एक किरदार नयी आ गई
जिस शहर को एक मौसम देकर छोड़ गए थे
इस पर कुछ हवा की शोकियो संग बाहर नयी आ गई
मेरे दिल की झील को बूंद-बूंद कर सुखा गए थे
इस कल की बारिश से झरनों में फुहार नयी आ गई
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वही ज़िद वही याद,
ना दर्द में कुछ कमी हुई,,
मेरी मोहब्बत भी अजीब थी,,,
ना मिल सकी ना खत्म हुई,,,,-
तुझसे पहले लाख आरजू थी दिल को
कोई आरजू ना रही तेरे आने के बाद
मौत से पहले जीना सीख लो
यह मौके नहीं मिलते मर जाने के बाद
राह-ए-नेकी से जो हटेगी नहीं उम्र भर
जन्नत पाएगा जेफ जमाने के बाद
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डूब जाने का जिसमें खतरा है
ऐसे दरिया को पार मत करना
देख तौबा का दर खुला है अभी
कल का तु इंतजार मत करना
मुझको खंजर ने यह कहा है एजाज
तू अंधेरे में कभी वार मत करना-
इश्क ने हमें कुछ इस कदर बेनाम कर दिया
कि हर खुशी से हमें अंजान कर दिया
हमने तो कभी नहीं चाहा था की हमे भी मोहब्बत हो ..
हमने तो कभी नहीं चाहा था की हमे भी मोहब्बत हो..
लेकिन ,आपकी एक नज़र ने हमे नीलाम कर दिया-
कभी दूर तो कभी क़रीब था
मैं उसका और वो मेरा नसीब था
ना कभी खत्म ना कभी कम हुआ
प्यार भी हम दोनों का कितना अजीब था
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लगा ऐसे जैसे बहुत लंबी कहानी लिख रहा था
मगर देखा तो रेह रेह कर मेरा नाम ही लिख रहा था
उलझता है वो हर एक बात पर अब मुझसे
कभी जो मेरे कहने पर सुबह को शाम लिखा करता था
वही लब बन गए हैं मेरे लिए आज जहर के प्याले
जिन्हें" साहिल "मोहब्बत के कभी में जाम लिखा करता था-