Sinha Writes   (sinha_writes)
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Joined 25 June 2019


Joined 25 June 2019
7 OCT 2021 AT 3:23

तेरा चेहरा थोड़ा धुंधला सा हो रहा यादों में।
X2

अब मोहब्बत कम थीं।
या नफ़रत जादा हो रहा इरादों में।।

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28 AUG 2021 AT 20:35

मेरी नज़रों ने, कहा उनकी नज़रों से।
की पहचान गए तुझे।।
उनकी नज़रों ने बड़े ख़ामोशी से,
अनदेखा कर दिया मुझे।।

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29 JUL 2021 AT 21:42

लोग हमें बुरे वक्त मैं पास बुलाते और बातें बताते।
मगर अच्छे वक्त में याद तक न करते।।
किसी ने सही कहा जनाब,
हम बुरे लोग हैं।
बुरे वक्त में याद आतें।।
😊😊
कुछ भी कहो, हर पल साथ निभाते।।

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20 JUL 2021 AT 1:47

की तुमने जिक्र तोह किया था अपने प्यार का।
मगर जताना भूल गई।।
मेरे खफा होने पे तुम्हारा हाथ थामा था किसी और ने।।
ये बात तुम छिपाना भूल गई।।

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27 MAY 2021 AT 6:32

मुझे मोहब्बत हुई हजारों दफा।
जब भी उसकी नजरों में देखा एक दफा।।
और जो लोग कहते, मोहब्बत फरेब है।
वो करके तो देखे एक दफा।।

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31 MAR 2021 AT 14:03

बदले बदले से अंदाज़ है तुम्हारे।
उफ्फ जाने क्या बात हो गई।।
शिकायत है तुम्हारी हमसे।
या किसी दूसरे से मुलाकात हो गई।।
❤️❤️

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13 MAR 2021 AT 0:43

कई दौर से गुजरा हुँ, मैं इस ज़माने में।
मुझे आज भी याद है वोह दिन, जिस रोज़ मैं बैठा था मेहखाने में।।
और रूह काप जाती हैं मेरी, उस दिन को सोचकर।
जब पता चला, वोह सोया था किसी और के सिरहाने में।।

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12 FEB 2021 AT 2:07

की तुझे बिन कुछ कहे जाने दिया मैंने।
अब और क्या कर सकता हुँ मैं।।
अब ये सासें इंतजार में है उस आखिरी मंजिल के।
इससे ज्यादा जल्दबाजी और क्या कर सकता हुँ मैं।।

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12 FEB 2021 AT 2:05

की तुम्हें दिल के उस कोने में रखा था।
जहा किसी का बसेरा ना था।।
और आते जाते रहे मुशफिर उस हिस्से में।
ऐसा कोई बेरा ना था।।

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12 FEB 2021 AT 1:59

की तेरी अस्कों का खेल, मेरी निगाहें समझ ना सकी।
क्युकी तेरी निग़ाहों को दिल ने अपनी निगाहें माना था।।
हाँ, सही सोचा आपने।
मैंने बाकियों से जादा उसे अपना माना था।।

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