06.10.23
किया है प्यार जिसे हमने जिंदगी की तरह,
वो प्यार भी मिला हम से अजनबी की तरह...
किसे ख़बर था बढ़ेगा कुछ और अंधियारा,
छुपेगा वो किसी बदली में चाँदनी की तरह...
बढ़ा के प्यास मेरी उस ने हाथ छोड़ दिया,
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल-लगी की तरह...
सितम तो ये है कि वो भी न बन सका अपना,
कबूल हम ने किए जिसके ग़म भी ख़ुशी की तरह...
कभी न सोचा था हम ने की ऐसे बदलेगा वो,
करेगा हम पे सितम वो भी खुदगर्जी की तरह...
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