नारी से बड़ा शक्ति ना जग में,
बहन से बड़ा ना कोई नाता।
एक कवच बन जाता है कच्चा धागा भी,
जब बहन बांधे, भाई के कलाई पे धागा!-
चुप क्यों रहती हो
बस तलवारों से तुम बात करो
नारी हो तो क्या हुआ
मजबूरियों का विनाश करो
नोच खाने वाले दरिंदो को
माँ दुर्गा का अवतार दिखाओ-
मन तु क्यों ना माने
तेरे मुख पे उदासी छाया है
किस्मतों को कोसना बंद कर,
हिम्मत ही तेरा सहारा है।
दुनिया के दिए तु गम भुल,
अंदर हिम्मत का संचार कर।
खुशियाँ दौड़ के गले लगाएगी,
पहले मेहनत का शुरुआत कर।
ना लजा किसी से,
ना ईर्ष्या का तु भाव रख,
किस्मत को बदलनी होगी
पहले अंदर के, कचड़े तु साफ कर।
शुरुआत कर बिना डरे,
मन तु गम को मात दे
मैं कहता हूँ उदासी खो जायेगी,
पर मन तु क्यों ना माने।।-
मैं कलयुग का, काला जमाना देखा
देखा इज्जतदारों पे लगी कलंक को
मैं गरीबों को भूखे सोते देखा,
मैंने देखा, अमीरों को रोटी फेकते भी!
मैं दरिंदों को, निर्भया को नोचते देखा
देखा मैंने, कई काली रातों को!
पागलों को, इंसान सी बातें करते देखा,
देखा इंसान रूपी, ज़ालिम आवरों को!
मैं दोस्तों कि गद्दारी को देखा
देखा गैरों के संग, सोते महबूब को
मैं इंसानियत बेचते, इंसानों को देखा
वैश्यों को देखा इज्जत बचाते भी!
मैंने माँ-बाप को बिलखते देखा,
बेटों को देखा, माँ को घर से निकालते भी
मैंने पापा कि फटी कमीज देखी,
बेटा को देखा ब्रांडेड कपड़े पहनते भी!
मैंने खुद को, रातों को रोते देखा
अपने कलम से देखा, टपकते आँशु को
मैंने धर्म पे राजनीती करते, नेता को देखा
देखा मैंने, ज्ञान रूपी जलते गीता को!-
विपत्ति चाहे कितने भी क्यों ना मिले,
इमनदारी के रास्ते नहीं बदलेंगे हम।
झोपड़ी भले ही हमारी गिर जाये,
पर महलों से, ईंट नहीं चुराएंगे हम!!— % &-
दुश्मनों को कह दो अकेले नहीं हम,
दुआयें कमा कर एक अटूट कवच बनाया हूँ!— % &-
न जाने कितनी शेर, गजलें लिख सकता हूँ मैं,
अफ़सोस फिर भी तेरे उलझें हुए,
दिल के नज्म नहीं पढ़ सकता मैं!— % &-
वादा टूटते चकनाचूर होते देखा
बदलते इश्क को नजदीक से देखा
घबराई दिल आँखों ने पानी छोड़ा
अपनी महबूब कि तड़प में खुद को मरते देखा!— % &-