दोस्ती,
भीगे मौसम की बारिश में किसी छाते की तरह होती हैं।
गरजते बादल देख जो सीने से लगा ले ऐसी होती है दोस्ती।।
सुनसान राहों में एक दूसरे का हाथ थामे रहती है दोस्ती।
रिश्ता जो सदियों निभाता है साथ,इमानदार होती है दोस्ती।।
दूरी कितनी भी हो दिल में एक खूबसूरत छाप छोड़ जाती है।
हसीं से पेट दुखाती और दिल के दर्द को बहलाती हैं दोस्ती।।
सिगरेट के धुएं साथ उड़ाने से,सेहत का ख्याल रखने तक।
लड़ने झगड़ने पर जो मना कर हंसा दे ऐसी होती हैं दोस्ती।।
बिल्कुल मां की तरह मासूम दिल की होती है ये दोस्ती।
गर निभा पाओ तो बाप की तरह सिर की छत हो जाती हैं।।
दोस्ती तो दो प्यार करने वालों के दरमियान भी होती हैं।
और यक़ीन हो खुद पर अगर, तो खुदा भी निभाता हैं दोस्ती।।-
जिंदगी गुज़र जाए,बेफिक्र काफ-एड़ियां भी घिस जाए ।
मेरे मुल्क तेरी हिफाज़... read more
If God says it's my last breath
I will give u all my strength
if God ask for my last wish
I will choose you to near me
Holding hands just u and me
I'll tell u to sing that song
You, last composed for me
If God says it's my last breath
And I'll be a night star soon
No longer your bright moon
I will ask u to promise me
In the next life plz meet me
I'll tell u a secret of my life
In your heart I'll always live-
लिखने को हैं बहुत से विषय पर, तुझसा कोई व्यंग कहां।
रचे चरित्र ईश्वर ने अनेक पर, तुझसी कोई रचना कहां।।
ये रंग रूप तेरा देह देख कर, मन चंचल होने लगता है।
तेरे नयन में देखूं तो लगे, तुझसी कोमल रूह है कहां।।
तू लगे है जैसे वृक्ष घना, तेज़ धूप में है ठंडी छाव सदा।
करे वर्षा काले बादल तो तू ,मौसम आसमान में साफ सदा।।
कल-कल बेहती नदियों में तू, लगे शीतल जल की धार सा।
नज़र में कोई भेद नहीं, जो तुझमें हैं वो प्रीत मुझमें सदा।।-
मेरा देश लड़ रहा है।
ये मुसलसल जलती बस्तियां,
ये बर्बाद हो रही ज़िंदगियां,
सना हैं खूं से हर एक चौखट,
हवाओं में ज़हर घुल रहा है,
अहल-ए-सियासत को खबर हैं सब।।
कोई शख़्स तमाशा देख रहा हैं?
मेरा देश लड़ रहा है।
सड़कों पर, चौराहों पर,
ज़ुल्मी रातों के साए पर,
मज़हब से मज़हबी दंगो तक,
घरौंदे में जलती लाशों तक,
अहल-ए-सियासत को खबर हैं सब,
हर एक शख़्स तमाशा देख रहा हैं।।
मेरा देश लड़ रहा हैं।
लड़ रहा है हैवानियत से,
ख़ाक होते काग़ज़ातो से,
बद से बद्तर हालातों से,
अपने तिरंगे की लाज बचाने,
अपनी जान दाव पर लगाए,
मेरा देश लड़ रहा हैं,
मेरा देश लड़ रहा हैं।।-
उसको होगा मुझपे ऐतबार तो करेगा हर कीमत पर।
वरना ज़माने में कई हैं मेरे गरेबाँ को तार करने वाले।।-
मैं जब भी तुमसे मिलती हूं , सुरूर सा मुझमें छा जाता हैं।
तेरी निगाहें देख कर ही तुझमें खो जाने को दिल चाहता हैं।।
जब इठला के हस्ता हैं तू , मेरे दिल का धड़कना वहीं थम जाता हैं।
तेरी मीठी बातों को सुन कर, तुझमें खो जाने को दिल चाहता हैं।।
लब तेरे कितने कोमल हैं, दिल को रोकना उतना ही मुश्किल हो जाता है।
तू नूर ए सहर बन कर, हर रोज़ मेरे लबों को बिन छुए ही चूम जाता हैं।।
तेरा रुसवा होना भी न जाने रस्म ए इश्क़ क्यों लगता है,
तुझ रूठे हुए को मनाना भी मुझे सुकून दे जाता हैं।
मेरे ख़्वाबों में तेरे सिवा कोई नहीं, हर शब लगे जैसे तू मुझसे मिलने आता हैं।
मानो हम दो जिस्म अलग ही नहीं, तेरा हर एक एहसास मुझे स्पर्श दे जाता हैं।।
तेरी रूह कितनी पाक हैं, के हर बुराई का सर तेरे आगे झुक जाता हैं।
और जिस क़दर मोहब्बत करता है तू मुझसे, तुझे ख़ुदा कहने को दिल चाहता हैं।
-
या ख़ुदा फ़ुर्सत के लम्हें मेरे यार के साथ मुझे अदा करना।
बेहद मोहब्बत है मुझे उस शक्स से, मेरे नस-नस में हैं वफा करना।।
याद-ए-माज़ी के तालों कि चाबी गुम है एक अज़ीज के होने पर,
मुझे मुख़्तलिफ़ यादें बुनने के खातिर हीक़त-ए-पल अदा करना।
उसका आना मेरी ज़िन्दगी में अब भी एक सवाल क्यों हैं भला,
मै उलझी हूं कश्मकश में, मुझे मेरे ही सवालातों के जवाब अदा करना।
वो सुनता नहीं, के आज भी खड़ी हूं उसके बंद दरवाज़े की दहलीज़ पर,
बिना आवाज़ दिए ही बैठ गया हैं गला, मुझे मेरी ही आवाज़ अदा करना।
रोज़ाना दरमियाँ के फासले, दिल के ज़ख्म कुरेदते हैं मेरे।
याद आता है वो ख़ूबसूरत चेहरा, मुझे उसका रूबरू होना अदा करना।।
या ख़ुदा फ़ुर्सत के लम्हें मुझे मेरे यार के साथ अदा करना।
बेहद मोहब्बत हैं मुझे उससे, मेरे नस-नस में हैं वफा करना।।
-
बेनाम हुजूम में कहीं खो रही हूं मैं ,आहिस्ता आहिस्ता।
हाथों की लकीरें साथ छोड़ रही है ,आहिस्ता आहिस्ता।।
मैं यू आइने में खड़े हो कर सवाल पूछती हूं खुद से ,
क्यों तेरा सुकून छिन रहा है तुझसे ही ,आहिस्ता आहिस्ता।
गीले तकिए पे रातें गुज़र रही हैं मेरी गमगीन अब तकल।
मानो दर्द ले रहा हो इम्तिहान सब्र का ,आहिस्ता आहिस्ता।।
सहर मचल कर तेरी यादों में शाम कर देती हैं रोज़ाना,
गुज़र रही हैं उम्र बिना कुछ कहे ही ,आहिस्ता आहिस्ता।
न था, न हैं कोई इस जहां में मेरे खातिर अपना सब कुछ गवाने वाला।
खुद से सौदा कर मैंने सब कुछ गवा दिया अपना ,आहिस्ता आहिस्ता।।
बीत चुकी हैं कई पहर इस समुंदर की लहरों को यूहीं ताकते ताकते।
और अब लहरें मेरे नज़दीक हैं ,मैं साहिल से दूर जा रही हूं आहिस्ता आहिस्ता।।
-
अब कि बार मिले तो मिलेंगे कुछ इस तरह,
न होंगे फासले दरमियान, अब कि बार।।
रंजिशे, गिले, शिकवे,मजबूरी,दूरियां जो भी हो,
वस्ल की रातों से राहत-ए-सेहर होगी,अब कि बार।
पल पल की तड़प ए जुदाई का सबब पूछ लेना तुम,
हर सवाल का जवाब बड़े ही आराम से देंगे,अब कि बार।
ये जो नाज़ुक मिजाज़ है तुम्हारा, मेरे आंसुओ को पीने का,
होंठो से पिलाया जाएगा हर एक जाम, अब कि बार।।
बीती जो हर एक रात अब तलक शमा भुजाएं तुमने,
वादा हैं शायराना होगी हर एक शाम, अब कि बार।
सुनो मुझे तुम्हारी तपिश की ज़रूरत महसूस होती है,
हर कसर तुमसे मिल कर पूरी होगी, अब कि बार।।
इम्तिहान इश्क़ का गर हो आसान तो मज़ा कैसा,
इंतज़ार-ए-महबूब में क़ुबूल हैं तबाह होना,अब कि बार।-
इश्क़ वजूद हैं मेरा,और इश्क़ तुम हो।
दिन का सुकून,रातों की नींद तुम हो।।
प्यारी सी मुस्कान, मीठा सा एहसास,
कभी न खत्म होने वाली दास्तान तुम हो।।
डर नहीं तुमसे अलग होने का,
मेरी दुआ, मेरी इबादत तुम हो।।
ख़ुदा पर भी नहीं, तुम जितना भरोसा।
मेरी हिम्मत-ए-उम्मीद का राज़ तुम हो।।
चादर की सिलवटें,
नरम तकिए का मज़ा,
पन्नों कि ख़ुशबू,
मेरी खुली किताब तुम हो।
गर तुम हो मौजूद इस जहाँ में,
तो मानो, जन्नत मेरे करीब हैं।
छीन ले फिर,मेरी तमाम दौलत कोई,
क्या परवाह, मेरी शौहरत तुम हो।।
-