क्या लिखूं मैं तेरी खूबसूरती के बारे में...शब्दों की तौहीन होगी अगर लिखूं कुछ मैं तेरे बारे में....
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आज साड़ी विच आई है तु...लगदे मेरा heart फेल करवा के ही जाएगी....
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तेरे साथ हर एक पल बिताना है मुझे...जरूरी नहीं कि एक ही दिन वेलैंनटाईन डे मनाना हैं मुझे...
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तु रूप हैं खुदा का तुझ पर हंसते हंसते जान भी वार दुँ....मेरी औकात ही क्या है जो मैं तुझे गुलाब दु....
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फिदा है गुलाब भी जिसकी नशीली आंखों का...
अब आप ही बताइए उस गुलाब को???
मैं क्या फूल दुं गुलाब का...-
लोग इंस्पिरेशन देते हैं सिमरन जैसे बनने की अपने परिवार में पर मेरे लिए मेरी इंस्पिरेशन आज भी तुम ही हो...
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ज़रा सी नजरें आज भी झुका कर चलती हूं मैं साहिब...क्योंकि मुझे पता है नज़र मेरी उठेगी और इज्जत तार तार मेरे मां बाप की होगी....
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काली घनी रातों में याद तो तेरी अब भी मुझे आती है चाहे भरी महफिल हो तब भी ये अकेला मुझे कर जाती हैं...सपने में जिस दिन तुझे ना देखुं हंसता हुआ जब मैं अपना रब ना देखुं तबीयत खराब सी तब मेरी रहती है बिन पानी के तड़पे जैसे मछली ऐसे बिन तेरे दीदार के अब मैं रहती हूँ खुदा तेरे सब दुःख देदे मुझे बस अब यहीं अरदास करती रहती हूँ....
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खुशकिस्मत हो तुम कि भगवान ने तुम्हें बेटी दी है वरना यह तो वह अनमोल धात है...जिसे कई लोग अपने नसीब में लिखवाने के लिए हज़ारों मन्नतें मागतें हैं...
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तेरी रिकॉर्ड की हुई आवाज तो डूबे हुए को भी तार दे और इस गुस्ताख ने तो तेरे दीदार करने जाने हैं अभी...
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