लड़ता है , झगड़ता है
अपना पूरा हक्क जताता है।
डाँट ता भी है , प्यार भी करता है
अपनी शरारतों सेे जो मुझे खूब सताता है,
एक लड़का दोस्त है मेरा ,
जो मुझे अपनी जान बताता है।
ज़िन्दगी से कुछ चाहता है,
मग़र कुछ और ही करता है।
दिल में चाहत है मेरे लिए ,
मग़र मुझी को दूर भगाता है।
एक लड़का दोस्त है मेरा,
जो मुझे अपनी जान बताता है।-
कुछ ख़्वाब नैनों ने दिखायें हैं अभी,
कुछ मरहम ज़ख्म पर लगायें हैं अभी।
लोग असफ़ल होने से न जाने क्यों डरते हैं,
हमने असफ़ल होने के रास्ते सजायें हैं अभी।।-
कभी जान बूझकर भी रुठ जाया करती हूँ मैं,
के तुम मनाते हो तो मुझे मोहबब्त फ़िरसे हो जाती है।-
तुम बिन जीना , ये सोचना ज़रा मुश्किल है,
जो तुम तक न जाये , वो रास्ता खोजना ज़रा मुश्किल है।
चाहते तो हैं कि तुझे याद न करें,
पर क्या करें , तेरी यादों को भूल पाना ज़रा मुश्किल है।
तेरी खुशबू है , जो तुझ तक खींच ही लाती है मुझे,
ये दिल भंवरा फूल तक न आये , इससे रोकना ज़रा मुश्किल है।
दिल बार बार बस तुझे पाने की जिद्द करता है,
ये ज़िद्दी है दिल, इसे टोकना ज़रा मुश्किल है।
मोहबब्त तो बेहद , बेइंतेहा की है तुमसे,
बस इस मोहबब्त को , नफ़रत करना ज़रा मुश्किल है।-
तुम जाने अनजाने कुछ यूं कर गए,
कुछ मुझे हसना सीखा दिया,
कुछ खुद मुस्कुराना सीख गए।
जो फूल मुरझाये हुए थे आँगन में,
कुछ उन्हें खिलना सीखा दिया,
कुछ खुद खिल खिलाना सीख गए।
दर्द दफ़न थे सीने में जो,
कुछ उन्हें रोना सीखा दिया,
कुछ खुद सिसकना सीख गए।
दिल में है लोग , मगर ज़िन्दगी में नहीं,
कुछ उन्हें भूलना सीखा दिया,
कुछ खुद भुलाना सीख गए।
हम मर मर के जीते थे इस ज़िन्दगी को,
कुछ मुझे जीना सीखा दिया तुमने,
कुछ खुद जीना सीख गए।।-
तुम्हारे मचाए शोर का , हम चुप्पी से जवाब देते हैं।
शिकायत करना फितरत नहीं हमारी , हम सीधे दिल से उतार देते हैं।।
- Simran Kaur ✍
उसका ख़ामोश दिल मुझसे ख़फ़ा सा है
कुछ तो है उसके दिल में भले ज़रा सा है
चाहत थोड़ी सी ही सही मगर बरक़रार है
इश्क़ में सारी शिकायतें दरकिनार है
वैसे तो जो वो कहती है करती है
मगर मोहब्बत की बातों में थोड़ा सोचती समझती है
उतारने को तो वो मुझे एक पल में दिल से उतार दे
मगर सम्भल सकता है जो रिश्ता उसे क्यूँ ना सम्भाल ले
एक बार फिर से क्यूँ ना हम एक दूजे के दिल में शोर मचायें
दिल से उतारने की जगह क्यूँ ना एक दूजे के दिल में उतर जायें।
- Abhishek ✍-
भला और कितनी मर्तबा मुझसे दूर जाओगे
एक दिन लौट के मेरे ही पास आओगे
आँखों में भूख दिखी उन्हें , मग़र वो भूख उनके प्यार की थी
और वो कह उठे , जनाब बताइये क्या खाओगे ।
उस रात को चाँद से सितारे , नदियों से किनारे मिल गए ,
मुझे न जाने कब तुम मेरी मोहब्बत से मिलाओगे।
दिल में प्यास थी , उसे गले लगाने की आस थी
किसी ने आगाह न किया मुझे के इक्क दिन इसी प्यास में डूब जाओगे।
तुम्हारे बिना नींदें कहाँ आती हैं रात भर
इंतेज़ार है कब तुम मुझे अपनी गोद में सुलाओगे।
चुप रहना तुम्हारा अब सहा नहीं जाता
कभी तो अपनी आवाज़ से इस नाचीज़ को बुलाओगे।
करलो यत्न हमें भुलाने के , हमारी यादों से दूर जाने के
हम भी देखते हैं आखिर कब तक हमसे दूर रह पाओगे।-
तुम्हारे मचाए शोर का , हम चुप्पी से जवाब देते हैं।
शिकायत करना फ़ितरत नहीं , हम सीधे दिल से उतार देते हैं।।-
मुद्दतों बाद जो आज उसका दीदार हो गया
वो अधूरी कहानी हमें फिर याद आ गयी।
भुला चुके थे जिसको , हम सपना समझ के
वो रात सुहानी आज फिर याद आ गयी।
वो नज़रें इन नज़रों से आज जो दुबारा मिलीं,
वो शर्म से झुकी नज़रें दीवानी आज फिर याद आ गयीं।
उनकी पुकार , उनके बोल भुला चुकी थी मैं,
आज सालों बाद जो उन्होंने पुकारा,
तो वो आवाज़ पुरानी फिर से याद आ गई।
अलग ही नूर के साथ हसते देखा उन्हें आज मैंने,
मगर वही नूरानी मुस्कान उनकी आज फिर याद गई।
वो शरारतें उनकी , वो मस्ती में डूबी आँखें उनकी,
वो अदायें सयानी उनकी फिर याद आ गई।
मगर दूर जाना उनका,मुझे यूँ तोड़ जाना उनका
मेरी तन्हाई , उनकी रुसवाई,
उनकी बेवफाई हमें फिर याद आ गई।-