जो तुम हो वो मैं क्यों बनू , जो तुम हो वो मैं नहीं, जो मैं हूं वो तुम नहीं, फिर मैं तुम क्यों बनू।— % &
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जो तुम हो वो मैं क्यों बनू, जो तुम हो वो मैं नहीं, जो मैं हूं वो तुम नही, फिर मैं तुम क्यों बनू।— % &
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प्यार करना तो सिखाया उसने ,प्यार का मतलब भी उसी ने सिखाया |
पर ना जाने प्यार का मतलब मुझे सिखाते सिखाते, निभाना वह कब भूल गया ||-
अरे पगले पहले इश्क करना तो सीख ले,
फिर आना मैदान ए इश्क के जंग में |
यहां तलवारों से तो जंग नहीं लड़ी जाती,
पर जख्म तलवारों की जंग से भी गहरी होती है ||-
इस कदर बहना जाओ भावना में कि तेरी कदर न रहें,
जिसे तेरा होना होगा वह तुम्हें कभी बिखरने नहीं देगा,
तेरी एक आंसू के बूंद गिरने से पहले ही वह तुम्हें समेट लेगा|-
तू क्या जाने तेरी अहमियत क्या है|
तू क्या जाने इस दिल की गहराइयों में तेरी कीमत क्या है||
तू तो उस समंदर सा है जिसमें नदियां आकर मिलती है|
मैं तो उस तालाब सी हूं जो नदी से मिलने को तड़पती है||-
चलता जा रहा , न मंजिल का पता न साहिल का
पर एक आस कि चिंगारी है इस दहकती दिल मे ।
जैसे नदी को नही पता साहिल का , पर एक आस के साथ बहती हुई मिलती है समंदर से ।-
अगर फितरत हमारी सहने की नहीं होती,
तो हिम्मत तुम्हारी कुछ कहने की नहीं होती |-
देर से बनो पर जरूर कुछ बनो ,
क्योंकि लोग समय के साथ औकात पूछते हैं|-