Simpy Goel   (inking_thinkings)
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Joined 18 November 2020


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Joined 18 November 2020
5 AUG 2022 AT 17:51

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30 JUL 2022 AT 20:53

हमें ज़रूरत है रिश्तों की,
न कि रिश्तों को हमारी,
तो जिनकी ज़रूरत है हमें,
उनकी कद्र करना क्यूँ नहीं सीखते हम!
©Simpy Aggarwal

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29 JUL 2022 AT 13:21

सराहते हैं सभी,
जब लिखूं एक सच किताबों में,
कह दूँ जब वही ज़ुबाँ से,
क्यूँ बदल जाता है वो,
अक्सर ऐतराजों में!
©Simpy Aggarwal

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29 JUL 2022 AT 8:29

जब शब्द बेअसर और अनसुने हो जायें,
तब ख़ामोशी ही स्वयं को दी गयी
बेबुनियाद तसल्ली बनती हैं।
©Simpy Aggarwal

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24 FEB 2022 AT 18:20

तपाना पड़ता है...
कड़ी धूप में ज़िन्दगी को,
अपने ही साये को भी अपने साथ रखना...
आसान थोड़ी है!!!
©Simpy Aggarwal

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10 APR 2021 AT 7:47

ज़िन्दगी की पटरी पर यादों के सफ़र,
बिन सफ़र भी सफ़र करती हर डगर,
यादों में ही शामिल चंद मुलाक़ातें,
मंज़िल-ए सफ़र हुआ ये यादों का सफ़र!
©Simpy Goel

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9 APR 2021 AT 20:37

"Trust"

Invisible Wifi-hotspot Zone,
Needs Connection mode On,
Once Interruptions occur,
Relationship Network shows None.
©Simpy Goel

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8 APR 2021 AT 18:10

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23 MAR 2021 AT 20:02

Sometimes...
It's not about what you want...
It's about what you have to be!

And that's what being practical is...!!!
©Simpy Goel

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23 MAR 2021 AT 19:41

जेहन में कुछ महक रहा है,
शायद प्रेम सुगंध सी बरसी है,
बरसा है बादल एक अरसे बाद,
शायद मिट्टी भी सुगंध को तरसी है!
पतझड़ ने भी मोड़ी है राह,
शायद फूलों की ख़्वाइश क़ुबूल हुई,
रोम-रोम में इश्क़ ही पनपे,
शायद ख़ुशबू रूह संग मशगूल हुई!
नवजात शिशु भी चुप हो गया,
शायद उसी एक आँचल की ख़ुशबू सी मिली,
बयार भी बड़ी इठलाती सी फिरे,
शायद बागानों में नई सी कुछ कलियाँ खिली!
बेचैन दिल को सुकून सा मिला,
शायद इन आहटों संग वो सुगंध जुड़ी,
हर कौड़ी हर पाई की होने लगी कदर,
शायद मेहनत की सुगंध आज है दामन चढ़ी!
©Simpy Goel

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