जिंदगी का रास्ता
भूखे रह कर हक पाया खाने का
रातों को जग कर हक पाया सोने का
अल्फाजों में बने किताबो का हर्फ हूं मैं
कई ठोकर खाकर हक पाया चलने का-
तारीफो से बटकते बागानों को देखा
उंगलिवो में लिपटे सितारों को देखा
देखा तेरे छूने से तस्वीर को हकीकत में बदलते
न देखा तो सिर्फ तेरा ठिकान न देखा-
मेरी मंज़िल पर जाता हर रास्ता किसी ने रोक रखा है
जब करीब जा कर देखा देखा तो
वो परछाई थी मेरी परछाई — % &-
ये जो नज़रों से तुम मेरे दिल को निठाल करते हो
करते हो तो ज़ुल्म लेकिन कमाल करते हो-
Jo bhi ho tum
Jaha see aaye ho
Ye to Tay h ki jine ki ummed layi ho
Wo apna sa h apne me jo
To naam use Kya de
Ya benam hi rakh de-
"Kisi ne rakhe hai
Ye naam ....
Vahi naam se jana jata hu
Magar chahta hu
Ek naam mera bhi ho"-
भुला कर ख्वाहिशों को जंहा
यू पल्के झुका कर चल रहा हूं
सागर किनारे खड़े होकर
प्यास से मर रहा हूं-
Dil ko kaise sambhalu jo pahle se hi bikhra hai
Ab to hum bhi thak gaye buzdilo ki tarah
Hazaro bar badle usne apni soch ko
Mai badla to kahte hai
Tum bhi badal gaye janab
Dusro ki tarah-
समझ कर खुद को खुदा
हमसे नमाज़ की ख्वाहिश की
और जब रंजिशो ने घेरा मुझे
तब तेरी नहीं मौत की याद आई-