सुना है वो मेरी लिखावट में खुदको ढूंढती रहती है
पागल है वो जरा बता देना
उसने इश्क वाली कलम कब की बेच डाली है-
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चेहरे पर हसी
दिल में दर्द लिए घूमता हूं
सही सोचा जनाब
अपनों के जिम्मेदारियों से जो घिरा हूं-
अपनों पर अपना खौफ भी जरूरी है जनाब
रावण किसी पराए से नही अपने भाई से हारा था-
हर चीज़ बिकती है इस दुनिया में
मैं वो हर चीज़ खरीद लूंगा
तुम बात करते हो चंद पलों की
थोड़ा ठहरो एक दिन उस वक्त को भी खरीद लूंगा-
मुझे अच्छा नही बनना
मुझे बेहतर बनना है
जो सोचा ना हो किसीने
वो मक्सद हासिल करना है
यू बेकार समझते थे जो मुझे
उन्हे आइना दिखाना है
मेरे खुद से बनाई शक्सित को
एक दिन दुनिया से रूबरू कराना है-
सस्ते नशे थे इश्क के जो भरे बाजार बिक गए
वक्त का हिसाब लेकर यहां जिंदगी ने कितनों को फकीर बना दिया-
चलो एक और दफा ए जिंदगी तुझे अपनाकर देखते है
जो रूठ गए उन्हें मनाकर देखते है
जिन्दगी बितती है बितती रहेगी
एक बार परायों की भीड़ में चलो अपने खोज के देखते है-
आज कल दिमाग और दिल की बनती नहीं है
पसंद भी आए कोई तो नजर टिकती नही है
यू परेशान मुझे सुकून की तलाश है
पता चला किस्मत की भी वक्त से आज कल बनती नहीं है-
जमाना कुछ बोले ना बोले
जेब में रखा सिक्का तेरी औकात बताता है
ये रिश्ते नाते तो पहलू है इसके जनाब
देखो खुली आखों से ये जमाने को कैसे नचाता है-
प्यार तो छोड़ो
कोई दो कदम साथ चले तो अब शक होने लगा है
क्या जादू था तेरा ए झूठे इश्क जताने वाले
जिंदगी में आता जाता हर कोई अब फिजुल लगने लगा है-