आसान हैं उम्मीद का टूट जाना
मुश्किल तो फिर से उम्मीद को
जोड़ना हैं ये वो आशा हैं जिस
से खुद को हमेशा के लिए जोड़ना हैं……..!-
अक्सर मैंने ख़ुद को ज़िम्मेदारी के बोझ तले देखा है
बहुत कोशिश की मैंने भी मुस्कुराने की पर ख़ुद को
रोते ही हर पल देखा हैं-
आज कल मुझे ख़ुद की आवाज़ से भी
ज़्यादा खामोशी अच्छी लगने लगीं हैं-
कैसी कहानी हैं इस ज़िन्दगी की भी….?
लोगों से ज़्यादा क़ीमत आज कल पैसे की हो चली हैं-
अक्सर कहते तो हम बहुत कुछ हैं
पर होता वहीं है जो हमारी
क़िस्मत में उस ऊपर वाले ने लिखा हैं-
इस ज़िन्दगी को जीने का अफ़सोस
मुझे पुरी ज़िन्दगी रहने वाला हैं……!-
अपने अहंकार में अपनी सबसे बड़े सहयोगी
का साथ इन्सान पल भर में खो देता हैं…..फिर
बाद में अपनीं ग़लती को पूछा करता हैं…..!-
यू ही रूठ गई ज़िन्दगी की हक़ीक़त
मुझ से की सफ़ाई देने तक का मौक़ा नहीं दिया….!-
वहम हैं लोगों में अपनीं अच्छाई से
बदल देंगे विचार उनके अपने प्रति
जो उनके मुँह पे अच्छाई और पीठ
पीछे बुराई किया करते हैं-