Simpal Rai  
36 Followers · 2 Following

read more
Joined 15 April 2020


read more
Joined 15 April 2020
3 MAY 2021 AT 19:51

I never had any longing for moon. I have only dreamt about fluffy, floating clouds since childhood.

-


30 APR 2021 AT 19:57

I usually leave the same people, places and things for whom I had been in love.

-


26 APR 2021 AT 21:16

कुछ शख़्स ऐसे भी हैं–
जो जिंदगी को नहीं जीते
बल्कि, जिंदगी उन्हें जीती हैं।

-


22 APR 2021 AT 0:17

will you travel with me on foots to distant moon?

-


15 APR 2021 AT 20:54

मैं रोज़ तेरी गली से गुजरती हूं ऐ जिंदगी!
शायद किसी रोज़ तू मुझसे भी टकरा जाएं।


–सिम्पल राय।

-


11 APR 2021 AT 0:28

अरसों से धूल थी जिस गुलाबी चश्में पे,
उतारा तो इकतरफा इश्क़ समझ आया।
मैं रेत पे आयतें–ए–इश्क लिखती रही,
तू लहरों सा इन्हें हर बार मिटाता रहा।

-


9 APR 2021 AT 15:54

एक शाम पहचानी सी,
गुमसुम स्याह गुलाबी सी,
मेरे खामोश तन्हा कमरे में,
खुली किताबों के पन्नों से,
कोरे लाल खत चुराती है।
आहिस्ता से खोल के उसे,
इश्क की इत्र लुटाती हैं,
अनकहे लफ्ज़ सजाती हैं,
खत में सुर्ख गुलाब कलम से,
रागी कविता लिख जाती हैं।
जग को लगे मैं तन्हा शायर हूं,
ये राज़ दीवाना हैं की हर ,
तन्हा सांझों में मुझसे मिलने,
एक शाम पहचानी सी,
मेरे अकेले कमरे में आती हैं।

-


7 APR 2021 AT 0:29

निभाता हूं एहतराम से,
तर्ज़–ए–आशिक़ी यारों।
मैं परवाना जलता रहा,
वो शमा आबाद रही।

-


6 APR 2021 AT 16:06

तन्हाईयों में !!
जब मुस्कुराती हूं,
बीते लम्हों की,
जमा पूंजी से,
तब खर्च करती,
हूं बचपन !!
उम्र जवानी
चवन्नी सा मादूम,
ये बचपन !!
हर म्लान सी,
साँझों में खनकता,
हैं बचपन !!
लाखों नोटों से,
खरीद भी लूं जहां,
पर फिर भी,
दो अठन्नी से,
मिली कुल्फी की खुशी,
सा बचपन !!

-


4 APR 2021 AT 14:17

गांव पर था तब,
बंदिशों से आजादी !!
की तमन्ना थी।
शहर आया हूं तो,
आजादी से आजादी !!
की जुस्तजू हैंं।

–सिम्पल राय।💙

-


Fetching Simpal Rai Quotes