Silpi Gupta   (Prathu)
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Joined 23 April 2019


Joined 23 April 2019
16 JAN 2023 AT 21:20

चंचल मन में उठे तरंगें
और विद्युत सा बहता मन
पल में बादल जैसे गरजे
फ़िर बूंदो में बहता मन
मन में हलचल की
और उनके उठते गिरते लहरों की
उलझी सी डोर में
मुस्कान हसी पर निर्भर मन
फिर आंसू में बहता मन....

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14 AUG 2021 AT 18:49

हिकारात भरी निगाहें हैं जो ज़माने की
फ़िर भी ख्वाहिशों का एक ख़्वाब है
बेरहम से अल्फाज़ हैं ग़र
तो अक़्सर वो अपनों के अंदाज़ हैं
रोशनी उजाले किस्मत की कहानी नहीं
शिकस्त के आग में जली,
बेबस और लाचारी से लड़ी
हसरतों की कहानी और मिन्नत की आवाज़ है...

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25 JUL 2021 AT 15:07

जब मुलज़िम वक़्त होता है,
तो हमसफर खुदा बनता है,,
तीरगी के लम्हों में भले वो हमें बहरा लगे,,,
पर पैहम साथ हमेशा वही चलता है.....

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26 JUN 2021 AT 20:12

इस कहानी को एक ज़ुबान दे दो
कुछ नहीं बस एक मुकाम दे दो...

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15 MAY 2021 AT 5:55

एक बार मंज़िल की चाहत
एक बार खुद की,,,
ढूंडु किसको
ये गज़ब कश्मकश है...

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25 DEC 2019 AT 12:25

क्या हो तुम, जो इतने खास हो गए,,
एक अलग से खुशबू
अलग सी खुशी मिलती है
जब होते हैं तुम्हारे साथ
क्यों हो खास मुझे यह समझाओ ना
क्या हो तुम बताओ ना 😟

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22 DEC 2019 AT 21:33

बेरहम ज़माना तेरे अल्फाज़
हमें मारते रहे हैं,,
हवाले शिकस्त के क्या हुए,,
लफ्ज़ों के तीर डालते रहे हैं...

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27 OCT 2019 AT 13:27

इस दिवाली बस इतनी सी है दुआ
भरा रहे उलफ़त से आपका जहाँ
हर मंज़र हो खुशियों से भरा
अपने हर गम पर आप फ़तेह पायें
आपके तबस्सुम से ये फ़िज़ा खिल जाये
हर परवाज़ में आप अपना परचम लहरायें
आपकी कलाम में लड्डू सी मिठास आये
हर दिल में आप प्रेम के दीप जलायें
आपका जीवन एक सुरमई गीत गये... l l


दीपो का ये त्यौहार आपके हर तकलीफ को दूर करे और आपके जीवन में खुशियों से भरा दिया जलाये,,, आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें 😊😊✨️🎇🎁

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25 OCT 2019 AT 18:05

नादान था जो दुनियादारी से
बेबस हुआ अज़ीयत से मार खाने को
हसरत थी खुल कर जीने की जिसे
आज मोहलत ही नहीं खिलखिलाने को
जो दिलशाद हो तो फ़ूल बरसते थें
बरसों हुएँ उनके मुस्कान की एक झलक पाने को
ग़ुम गया वो कहीं ज़िम्मेदारियों में
जब गम ने उसे घेरा था
कहाँ पता था मार हर ख़्वाहिश
मज़बूर होगा ज़हीन बन जाने को.... l l

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24 OCT 2019 AT 13:41

तब कहते थे मैं आऊँगा, पर आते नहीं हो तुम अब
कुछ तो था जो था तब, शायद रह नहीं गया अब
रातों में एहसास नहीं है, साथ चलने में वो बात नहीं अब
कुछ बदल गया है हम दोनों में, फीके पड़ गये हैं ज़ज्बात सब
जिम्मेदारियाँ, मजबूरिया,अदावतें, तगाफुल हावी हो गए एकदम से अब
तुम कहते थे मैं भूलूँगा नहीं लेकिन भूल चुके हो तुम सब
तुम्हारी बातों में वो हँसी नहीं, तुम्हारे लहज़े में वो लड़कपन नहीं
मन कहता है शायद वो नहीं तुम ही बदल गए हो अब
सवाल बहुत से होते हैं मैं पूछूँ तुमसे आज अभी
जवाब ऐसे देते हो जैसे उब चुके हो तुम मुझसे अब
मैं तेज़ चला या तुम धीरे, पता नहीं मुझे कुछ
बस इतना जनता हूँ के तुम छोड़ने वाले हो मुझको अब.... ll

- Kukku

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