silly oshi   (ओशि)
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Joined 6 June 2020


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6 SEP 2023 AT 1:50

हर नदी के नसीब में सागर से मिलना मयस्सर नहीं होता
कुछ पत्थरो से मुसलसल टकराकर अपना दम तोड़ देती है

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5 SEP 2023 AT 23:34

संघर्ष मंज़ूर, समझौते नही

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5 JUL 2023 AT 5:01


समझ और समझौतों के दरमियाँ
कसमसाती ज़िंदगी

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24 APR 2023 AT 1:14

ज़िंदगी तूने नेमतें बेहिसाब दी
पर यह क्या कि पाने में उनको
हाथ से फ़िसलते चले गये
कभी लम्हे, कभी रिश्ते…

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11 APR 2023 AT 2:57

दास्तान ए मोहब्बत बस इतनी सी रही
ताउम्र मैं उससे लड़ती रही
ताउम्र वो मेरे लिए लड़ता रहा

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14 MAR 2023 AT 5:09

चलो ज़िंदगी, एक बार फिर
सबसे राबता तोड़ कर
ख़ुद से वाबस्ता होते है।

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13 FEB 2023 AT 3:45

पोखर की तलब रखने वाले
समुंदर से रिश्ता क्या जाने

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13 FEB 2023 AT 3:18

मैंने हर उस महफ़िल को ठुकराया
जिसमे तुम नहीं थे
कोई हर्ज़ नहीं यह कहने में कि
तुम से ही अब ज़िंदगी की तमाम रौनक़ें है

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26 JAN 2023 AT 14:36

तुमने जब जो कहा मैंने मान लिया
और कितनी अहमियत चाहिए तुम्हें यारम

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25 JAN 2023 AT 5:23

जीवन समागम है सुख दुख के दृश्यों का

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