न जाने ये कैसा मंजर है जुबा खामोश और आंखों में समंदर हैबाहर तो सब कुछ सही ही दिख रहापर हजार उलझने दिल के अंदर है..... -
न जाने ये कैसा मंजर है जुबा खामोश और आंखों में समंदर हैबाहर तो सब कुछ सही ही दिख रहापर हजार उलझने दिल के अंदर है.....
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बढ़ती ही जा रही मुश्किलें मंजिल कीजैसे इसे लंबी उम्र की दुआ लग गई है -
बढ़ती ही जा रही मुश्किलें मंजिल कीजैसे इसे लंबी उम्र की दुआ लग गई है
हो रहा था दर्द मुझे, पर उस दर्द से अनजान थी मैं8th standard का वो लाल रंग,नारी होने की पहचान थी मेरी l #welcomeinwomenhood👸World menstrual Hygiene Day 28th May -
हो रहा था दर्द मुझे, पर उस दर्द से अनजान थी मैं8th standard का वो लाल रंग,नारी होने की पहचान थी मेरी l #welcomeinwomenhood👸World menstrual Hygiene Day 28th May
दूरियों में ही तो नजदीकियां है...बहुत करीबी में मैने फासले देखे है -
दूरियों में ही तो नजदीकियां है...बहुत करीबी में मैने फासले देखे है
No behave is better than missbehave -
No behave is better than missbehave
गर न होगा कोई साथ तो और क्या होगा....सुकूं और ज्यादा होगा न प्यार होगा ना वादा होगामाना होऊंगी परेशान थोड़ा औरपर कमजोर ना मेरा इरादा होगामाना होंगी परेशानियां ज्यादाचुनौतियां भी खत्म नहीं होंगीअकेली रह के ही सब सहूंगी मेरी जितने की ज़िद कम नही होगी ll -
गर न होगा कोई साथ तो और क्या होगा....सुकूं और ज्यादा होगा न प्यार होगा ना वादा होगामाना होऊंगी परेशान थोड़ा औरपर कमजोर ना मेरा इरादा होगामाना होंगी परेशानियां ज्यादाचुनौतियां भी खत्म नहीं होंगीअकेली रह के ही सब सहूंगी मेरी जितने की ज़िद कम नही होगी ll
बहार की लड़ाइयांतो फिर भी जीत लूपर बहुत सारे सवाल मेरे खुद के अंदर से है सुर्ख लबों पर तो हसी हैपर आंखो का रिश्ता समंदर से है -
बहार की लड़ाइयांतो फिर भी जीत लूपर बहुत सारे सवाल मेरे खुद के अंदर से है सुर्ख लबों पर तो हसी हैपर आंखो का रिश्ता समंदर से है
क्यू मेरा मन दुनिया की बातों में आ जाता हैछोटी छोटी बातों पर ये घबरा जाता हैजब कदम उठाया ही हैतो क्यों नहीं सह पा रही मै औरों से ना सही खुद से भीक्यों नही कुछ कह पा रही मै -
क्यू मेरा मन दुनिया की बातों में आ जाता हैछोटी छोटी बातों पर ये घबरा जाता हैजब कदम उठाया ही हैतो क्यों नहीं सह पा रही मै औरों से ना सही खुद से भीक्यों नही कुछ कह पा रही मै
मिल तो जायेगी अपनी मंजिलपर खुद को कही खो रही हूकभी इन मुश्किल भरी लम्हों मेंकभी अपने बुने हुए सपनो में कभी खुद से ही लड़ रही हूकभी खुद ही पे अकड़ रही हूजीत रही हू या हार रही हूया फिर खुद को मार रही हूजी पाऊंगी ये जिंदगीया खुद को भी खो दूंगी -
मिल तो जायेगी अपनी मंजिलपर खुद को कही खो रही हूकभी इन मुश्किल भरी लम्हों मेंकभी अपने बुने हुए सपनो में कभी खुद से ही लड़ रही हूकभी खुद ही पे अकड़ रही हूजीत रही हू या हार रही हूया फिर खुद को मार रही हूजी पाऊंगी ये जिंदगीया खुद को भी खो दूंगी
थोड़ी सी हसीं चाहिएबस थोड़ी सी ही खुशी चाहिएखुले पंखों से छू लूं ये आसमा मुझे ऐसी ज़िंदगी चाहिए l -
थोड़ी सी हसीं चाहिएबस थोड़ी सी ही खुशी चाहिएखुले पंखों से छू लूं ये आसमा मुझे ऐसी ज़िंदगी चाहिए l