Silesh Pradhan  
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Joined 5 May 2020


Joined 5 May 2020
11 MAY AT 18:30

ऐसा तो महसुस ना हुआ आजतक कभी
इतना तो खुश ना हुआ मैं किसी के साथ कभी

कटे रातें जागते हुए पहले भी,
पर पहले ना आई ऐसी चांदनी रात कभी

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10 MAY AT 10:56

अब तुम्हारे पास पूरा जहां तो में हवा हूं
जब जिसके पास कोई नहीं में वहां हूं

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7 APR AT 17:25

है एक से बढ़कर एक खाश शख़्स दुनिया में,
हम ही किसी महफिल के रौनक हो ऐसा तो नहीं !

मिल ही जाता है कोई ना कोई किसी को,
किसी के ना होने से ये दुनिया रुकती तो नहीं !

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1 APR AT 0:23

"मन" अपने आप ही शांत हो जाएगा,
तुम बस जो ना मिला उसे भुला के जो पास है उसकी एहमियत को समझो !

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27 MAR AT 1:27

खाली हाथ उठाए आशमां से पूछे जो मेरी आंखें
क्या क्या बाकी है अब छीन ने को मुझको बोझ लगे मेरी सांसे

रातें आग और दिन सुली हो रखे हैं,
केसे लड़ूं किस्मत से मैं मुझको भटका रहे मेरी राहें

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25 MAR AT 19:58

डर सिर्फ़ एक सच का है कि सब कुछ झूठ है !

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18 MAR AT 23:31

बहुत गैर लगा वो शख़्स मुझे,
जब उसके बहुत अपनों के बारे में पता चला !

फिर कुछ ऐसा हुआ, मुझे खुद से ही नफ़रत हुई,
ये कैसे-कैसों से मेरा रिश्ता चला !

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13 MAR AT 1:08

अब खयालों में बात होती है
खाबो में मुलाक़ात होती है

वो दूर हो कर भी जेसे पास सबसे
उसके नाम से मोहब्बत होती है

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12 MAR AT 0:27

कितना भी past को भुलालों
कितना भी future, career बनालों

फिर से वही पुरानी कहानी दोहरानी हैं
वापस वही यादें वही बातें रह जानी हैं

वही यारी वही जिंदगी जिनी हैं
वापस वही गांव की गलियों में जानी हैं

रंगों का त्योहार आ रहा है,महफिल भी तो सजानी हैं
इसबार बचपन के दोस्तों के साथ फिर से होली मनानी हैं

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23 FEB AT 1:40

है आज वो साथ किसी के, हो के दूर मुझसे वो हस रहा है

मेरे बस में सब कुछ तो है बस दिल एक उसी को तरस रहा है

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