ऐसा तो महसुस ना हुआ आजतक कभी
इतना तो खुश ना हुआ मैं किसी के साथ कभी
कटे रातें जागते हुए पहले भी,
पर पहले ना आई ऐसी चांदनी रात कभी
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अब तुम्हारे पास पूरा जहां तो में हवा हूं
जब जिसके पास कोई नहीं में वहां हूं-
है एक से बढ़कर एक खाश शख़्स दुनिया में,
हम ही किसी महफिल के रौनक हो ऐसा तो नहीं !
मिल ही जाता है कोई ना कोई किसी को,
किसी के ना होने से ये दुनिया रुकती तो नहीं !-
"मन" अपने आप ही शांत हो जाएगा,
तुम बस जो ना मिला उसे भुला के जो पास है उसकी एहमियत को समझो !
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खाली हाथ उठाए आशमां से पूछे जो मेरी आंखें
क्या क्या बाकी है अब छीन ने को मुझको बोझ लगे मेरी सांसे
रातें आग और दिन सुली हो रखे हैं,
केसे लड़ूं किस्मत से मैं मुझको भटका रहे मेरी राहें-
बहुत गैर लगा वो शख़्स मुझे,
जब उसके बहुत अपनों के बारे में पता चला !
फिर कुछ ऐसा हुआ, मुझे खुद से ही नफ़रत हुई,
ये कैसे-कैसों से मेरा रिश्ता चला !
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अब खयालों में बात होती है
खाबो में मुलाक़ात होती है
वो दूर हो कर भी जेसे पास सबसे
उसके नाम से मोहब्बत होती है-
कितना भी past को भुलालों
कितना भी future, career बनालों
फिर से वही पुरानी कहानी दोहरानी हैं
वापस वही यादें वही बातें रह जानी हैं
वही यारी वही जिंदगी जिनी हैं
वापस वही गांव की गलियों में जानी हैं
रंगों का त्योहार आ रहा है,महफिल भी तो सजानी हैं
इसबार बचपन के दोस्तों के साथ फिर से होली मनानी हैं-
है आज वो साथ किसी के, हो के दूर मुझसे वो हस रहा है
मेरे बस में सब कुछ तो है बस दिल एक उसी को तरस रहा है-