हूं खड़ा मैं सोचता कि क्या मैं कर पाऊंगा
छिड़ी इस जग की जंग में क्या मैं भी मर जाऊंगा
किसी को जीतना खुद से है, किसी को जीतना औरों से
कोई सहमा हुआ खामोशी से , कोई खुद के ही शोरों से
ज़िंदगी का अर्थ क्या , हैं नहीं समझता कोई
खुद को बचाने की होड़ में आपस में यहां लड़ता कोई
है क्या मालूम तुम्हें, ज़िंदगी न हार से हैं न जीत से
जीत सको तो जीत लो तुम किसी को अपनी प्रीत से
हैं उगते फूल कांटों में भी, लेकिन कांटों को कौन संवारता
खुद की ही भूल छिपाने को खुद को ही तू निखारता
है युग का अंत यही, यही युग की समाप्ति
कर सको तो कर लो इसी में तुम अपनी ज़िंदगी की प्राप्ति ।।-
Writing is a subject for me
आंखें तेरी नीली नीली बातें तेरी गुलाब सी
छूना चाहूं तो भी न छू सकूं,,
लगती तूं बस मेरी ख़्वाब सी ।।-
ख़ुदा की कारीगरी , इश्क का रुप हो तुम
देख जिन्हें बंद आंखें खुल जाए सवेरे की वो पहली धूप हो तुम।।-
जिंदगी के इश्क़ में कितने राज़ छुपाए कितने बताएं
इश्क़ ही इश्क़ का वहम हैं न जाने कितने रिश्ते निभाएं कितने मिटाएं-
एक तेरे झुमके,एक तेरी आंखें,एक तेरी बातें
इससे ज़्यादा खुबसूरत हम तुम्हें और क्या ही बताते।।-
हैं इश्क के मायने अलग लेकिन मेरे जज़्बात तुम याद रखना
हो चाहे रास्ते मुश्किलों से भरें लेकिन मेरा दामन हमेशा अपने साथ रखना
भले खामोशी हो कभी मेरे लबों पर लेकिन मेरे उन खामोशी में तुम अपनी हर बात रखना।।-
इश्क़ की बातें दरमियान हमारे कुछ अधूरी रह गई
मुंतजिर बनकर मोहब्बत करना उनसे अब जरूरी रह गई।।-
जो मेरे दिल के बहुत करीब थे ,वो थोड़े अजीब थे।
कभी मेरे साथ तो कभी मेरे खिलाफ थे ।
कभी मुझसे दुर तो कभी मेरे पास थे।
मैं समझ नहीं पाई उन्हें उनकी ही बातों से ,
फिर ए भी रिश्ता फिसल गया मेरी हाथों से।-
सादगी से सादगी की तेरी मिसाल क्या दूं
बिन बताएं तु गर जवाब दे दे सारे
बाकी मैं तुझे सवाल क्या दूं ....-