कल रात हैवनियत की,
सारी हदें पार हुई।
हसती खेलती बच्ची,
जब खेलने को घर से बाहर गई।
देर रात तक घर ना लौटी,
बेचैन माँ ढूंढ़ते हुए लाचार हुई।
सुबह झाड़ियों में मिली उसकी लाश,
एक बार फिर इंसानियत शर्मशार हुई।
इज्ज़त का दावा करने वालों के सामने,
एक लड़की की इज्ज़त तार-तार हुई।
बेटी को खो कर,न्याय के लिए गुहार हुई।
पर ये क्या...
न्याय तो दूर जनाब यहाँ घरवालो की,
इज्ज़त भी तार-तार हुई।
बेटी के न्याय के लिए,पिता ने वकीलों के घर चक्कर काटे,
पर फिर भी ना नईया पार हुई।
वर्षो के बाद मिला न्याय,
पर बताओ इसमें एक बेटी की जीत हुई या न्याय की हार हुई??
💔💔💔💔💔💔💔💔💔
आओ मिल कर ऐसे भारत की रचना करे,
जिसमें नैतिकता व इंसानियत की शिक्षा मिले
और strong Justice system होगी।
वर्ना कल को ये भी हो सकता है
तुम्हारा बेटा rapist बनेगा और तुम्हारी बेटी victim होगी।
-