टूटे हुए मरकद भी ज़रा देख ले चलके
तन्हाई में नक्शे मत बना ताजमहल के
क्या खबर थी इम्तहान इतने कड़े हो जाएंगे
मेरे आस्तीन के सांप ही मुझसे बड़े हो जाएंगे
तू पागल मुसाफ़िर मत समझ हम फकीरों को
गर नाव डूबेगी भी तो पानी पर खड़े हो जाएंगे-
Love Humanity ⭐⭐
Biggest fan of “Galileo” & “Copernicus”
I'm saving... read more
तुझे खोने से डरता रहता था, घूंट ख़ून के पीता रहता था
एक आवारा मतलबी लड़का तेरी यादों में जीता रहता था
काश, समेटा होता तूने आकर जाने कितने हिस्सों में बंट गया
तू वही थी जिसके ख्वाब अपनी आंखों में संजोता रहता था-
मेरी आंखों का पानी न बन,
तू कोई बेरहम जवानी न बन
लैला का अस्तित्व ही मिटा दूं,
तू वो डरावनी कहानी न बन-
भविष्य उन्हीं लोगों के हाथ में है
जो अपनी जगह जानते हैं
क्योंकि जब हम अपने समाज की
आखिरी उम्मीद होते हैं तो
अमन एक सपना नहीं
बल्कि एक जरूरत बन जाता है-
बरसात है सबाब है
मौसम भी लाजवाब है
आए हैं सिकन्दर तुमसे
मिलने नदिया के पार से
अब सोने की कैंची से ही
लव खुलेंगे महबूब के
मेरा कातिल तो होंठ
सिएं बैठा है चांदी के तार से-
सिर्फ कहने सुनने से
यह बाजीगरी नहीं आयी है
ज़िंदगी जीने को अपनी
ज़िंदगी दाव पर लगाई है
तुम हम जैसे लोगों को
आजमाने की बात मत करना
हमने तो पत्थर भी
आजमाया है चोट भी खाई है-
आपको “सिकन्दर” ने निगाहों में बसा रखा है
यह आइना छोड़िए इस आइने में क्या रखा है
जिस पेड़ की छांव में हसीन वादे किए थे तूने
आज भी उस पेड़ की शाखों को हरा रखा है
जाने कब लौट के आ जाए वो बिछड़ने वाला
इक इसी उम्मीद से मैंने हर दरवाजा खुला रखा है-
चादर बदल बदल कर हर एक रात काट दी
मिट्टी के घर में ही हमने पूरी बरसात काट दी
वो सर भी काट देता अगर तो होता न हमें मलाल
अफ़सोस यह है सबके सामने मेरी बात काट दी-
पैग़ाम रोज प्यार का लेकर नए नए
आते हैं तेरी छत पर कबूतर नए नए
मत झांक खिड़कियों से जमाना खराब है
इल्ज़ाम लोग रखेंगे तुझ पर नए नए
दीदार तेरे हुस्न का करने के वास्ते
आया “सिकन्दर” भेष बदलकर नए नए
क्या फ़िर किसी अमीर को लूटा है आपने
आए कहां से तेरे जिस्म पे जेवर नए नए
सोलह श्रृंगार करके निकलती है जिस घड़ी
चलते हैं हर उस जगह पर खंजर नए नए-