Sikandar   (सिकन्दर)
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Joined 21 July 2019


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6 HOURS AGO

"प्रतिस्पर्धा एक सकारात्मक भाव है,
जिससे जीवन संवरता है।
हार-जीत तो जीवन का हिस्सा है।"

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6 HOURS AGO

व्यक्तिगत इलेक्ट्रिक वाहनों का क्या महत्व है?
क्या टेस्ला या बीवाईडी आज हमारे सामने खड़ी
जलवायु पहेली का उत्तर हैं?
यह न तो कोई सुविधाजनक प्रश्न है
और न ही इसका कोई आसान उत्तर है।

समय की मांग है कि हम अपनी सड़कों पर
निजी परिवहन को कम करें और एक ऐसे
दृष्टिकोण को अपनाएं जो इंसानों को
एक से दूसरी जगह ले जाए न कि वाहनों को

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7 HOURS AGO

चाहे ग़रीब हो या अमीर, हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
द्वारा निर्मित एक नए युग में एक साथ ही प्रवेश कर रहे हैं
अर्थात् हम एक गहन परिवर्तन के मुहाने पर खड़े हैं।

इसका एक मतलब यह हो सकता है कि मशीनें इतनी बुद्धिमान
हो जाएं कि वे इंसानों की जगह ले लें या इसका मतलब
यह भी हो सकता है कि इंसान अपनी बुद्धिमत्ता बढ़ाकर
मशीनों को और ज्यादा काम करने के लिए प्रेरित करे।

इसका मतलब नौकरियों का नुकसान भी हो सकता है लेकिन
यह परिवर्तन नए कौशल के द्वार भी खोल सकता है। सवाल यह है
कि जब हम इन विभिन्न संघर्षों से निपटेंगे तो देश क्या करेंगे।

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30 SEP AT 3:17

मेरे पास से गुजरकर भी
मेरा हाल तक ना पूछा
मैं कैसे मान लूं
वो मुझसे दूर जाकर रोया बहुत था

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25 SEP AT 1:27

समय का चक्र चलता है युग आते हैं जाते हैं।
रह जाती है यादें जो इतिहास बन जाती हैं
और इतिहास फिर कहानी बनती हैं और कहानियां फिर
गुम हो जाती हैं जब बीता युग फ़िर से वापस आता है।
उसी युग में कोहरे के पर्वत/निदा ए कोह से एक हवा चली
यह कोई नई शुरूआत नही थी क्योंकि समय के चक्र का
न कोई आरंभ है और न ही कोई अंत फ़िर भी
इंसानी भाषाओं के समझने के लिए ये एक शुरूआत ही थी

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25 SEP AT 1:09

यूं तो इंसान खयालों की तरह जलता है
गम, गरीबी में मसालों की तरह जलता है

तजुर्बा है अपनी मोहब्बत का हमें ए जालिम
प्यार ऐसा नासूर है जो छालों की तरह जलता है

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24 SEP AT 19:27

आखिर कब तलक मोहब्बत के सदमे उठाएंगे
अब तेरी यादों का जनाजा तेरे गम में उठाएंगे

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24 SEP AT 3:05

मैं एक सैटेलाइट की तरह हूं जो रॉकेट के फोर्स से स्पेस में
अपना ऑर्बिट तो पा लिया लेकिन रॉकेट की अहमियत को भूल गया
उसे भी पीछे छोड़ आया बस अपने ही ऑर्बिट में गोल गोल
अकेले घूमता रहता हूं। दुनियां के काम तो आ रहा हूं
मगर एक दूरी में फंस गया हूं सैटेलाइट तो फ़िर भी मशीन है
उसे फ़र्क नही पड़ता लेकिन एक मानव, प्यार रिश्ते दोस्ती के
फोर्स के बिना न धुरी पर घूमता हुआ दिशाहीन है।
हम बहुत बाद में रियलाइज करते हैं कि हम देश के काम तो आ रहे हैं
मगर अब हम पर गर्व करने वाला कोई नहीं है।
अब तारीफ़ करते हैं तालियां पीटते हैं बात बात पर
गालियां ही देते हैं मगर अंदर से एक दम खाली, ज़ीरो।
कोई साथ में हंसने रोने वाला कोई नहीं होता।

मां बाप प्यार दोस्त सबको इन्हे अपनी ड्रीम के लिए sacrifice
कर देना किसी हालत में सही नही है। अब हमे खुशी तो होती है
की हम देश के काम आ पा रहे हैं देश के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं।
लेकिन लाइफ़ का फुलफिलमेंट तो बैलेंस बढ़ाना है न राइट।
हम कितने सेल्फिश थे हमेशा अपने बारे में सोचते हैं। दूसरों की
uncertaintity दूसरों के Egos हमने कभी मायने ही नही रखे
बस एक दिशा में चलते चले गए। और वही हमारी दुनिया थी।
काश सॉरी बोलने का एक मौका मिलता कोई बताने वाला होता

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24 SEP AT 2:55

आजकल का प्रेम
तो बहुविकल्पीय है,
मैं तो तुम्हारे साथ
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
हल करना चाहता था!

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24 SEP AT 2:50

छुप जा चांद, सितारों की नीयत ठीक नहीं
आज़ की रात नज़ारों की नीयत ठीक नहीं
बचना ज़रा इनसे यारों की नीयत ठीक नही
कांटों से नही बल्कि फूलों से दामन बचाना
क्योंकि रात भर बहारों की नीयत ठीक नहीं

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