सीमांत ! Simant   (सीमांत !¡)
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Joined 28 October 2018


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26 MAY 2023 AT 0:47

कुछ मुक्कमल हुए, कुछ अधुरे से..
कई मुकाम अभी बाकी हैं,
ये तो ज़िंदगी का आगाज़ ही हैं,
कई इम्तिहान अभी बाकी है !!

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12 MAY 2023 AT 8:53

वक्त बदला हैं तो बदली हैं ज़रा, मेरी फितरत भी,
फिकी लगने लगी हैं अब, दौलत और शोहरत भी
ये ज़िंदगी भी इक ऐसे मुक़ाम पे आ खड़ी हुई हैं,
कि खुदा देता ही कहाँ हैं, सांस लेने की मोहलत भी !!

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4 MAY 2023 AT 23:56

बचपन में, बड़ा होने के लिए, खुदा से हजारों गुज़ारिशें की थी,
खबर ना थी, कि वक्त ने ऎसी भी कईं गहरी साज़िशें की थी !!

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23 APR 2023 AT 21:01

ये ज़िंदगी के रास्ते हैं, इनमें उलझने तमाम हैं
मैं ढूंढता हूँ वो मंज़िलें, सूकुन जिनका नाम हैं !!

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वो दौर था इक बचपन वाला, जब बातें सब मनमानी थी,
दुनियादारी की समझ कहाँ और दिल में बस नादानी थी,

इक दौर हाँ ये भी हैं आया हैं, बेमतलब की समझदारी हैं,
अब लगता हैं क्यों बड़े हुए हैं, क्यों हम पर जिम्मेदारी हैं,

अब नींद ना पूरी होती हैं, ना ही ख़्वाब मुक्कमल होते हैं,
ना पानी बहता हैं आंखों से, बस मन ही मन हम रोते हैं,

ले चले कोई उन गलियों में, मैं फिर से उन में खो जाऊँ,
और ख्वाहिश बस इतनी हैं कि, मैं फिर से बच्चा हो जाऊँ !!

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होली के रंग गुलाल में सब सारोबार हो जाये
मौसम भी आज का फिर खुशगवार हो जाये,
गूंज उठे हर घर आंगन हंसी किलकारियों से
रोशन और रंगीन, सबका ये त्योंहार हो जाये!!

सभी को रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं !! 🎉✨💫

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17 FEB 2023 AT 16:29

कल तक थे बेहद करीब, आज कितने दूर हो तुम,
ये कहते सुना हैं लोगों को, कि बड़े मजबूर हो तुम,
पहले मिलना, फिर बिछड़ना, इश्क़ की ये रवायत हैं,
ये जो मुद्दतों से चल रहा हैं, क्या वहीं दस्तूर हो तुम !!

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वो बिखर तो गया हैं, तुम अब और कोई साजिश ना करो..
उसे देखो, मुस्कुराओ.. ये आंसुओं की झूठी बारिश ना करो !!

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20 JAN 2023 AT 23:13

दिन भर की थकन, रात को सोने कहाँ देती हैं,
ये आंखें पथरीली जी भर कर रोने कहाँ देती हैं
मैं पाना चाहूँ, चैन-ओ-सुकून और राहत के लम्हें,
मेरी तकदीर, खुशियों को मेरा होने कहाँ देती हैं !!

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15 JAN 2023 AT 11:46

जो करते हैं इनकार चाय को, वो गुस्ताख़ होते हैं,
ऐसे गुनहगारों के गुनाह, ना ही कभी माफ होते हैं,
चाय दवा हैं हर मर्ज़ की , हर दर्द की वो राहत हैं,
चाय वो मरहम है, जिससे हर ज़ख्म साफ होते हैं !!

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