सीमा शर्मा   (©सीमा शर्मा 'असीम'...✍️)
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Joined 13 October 2020


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मेरे हालात गरीब के मकान की तरह हैं
चाहकर भी आँधी से बचा नहीं सकता

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ग़म ही ग़म खुशियाँ मयस्सर नहीं
जमीं तो है मगर आसमां सर नहीं ।

फँसा कोई धारों के बीच में बेचारा,
भरी दुनिया में भी कोई रहबर नहीं।

सोच रखे है दुनिया भर की दिल में,
खुदी के घर की उसको ख़बर नहीं।

रोता है चेहरा छुपाकर मुझसे पागल,
देखता नहीं मैं फिर भी बेखबर नहीं।

मेरा होकर भी कोई मेरा हुआ नहीं,
इतना भी आसाँ ये पीना जहर नहीं।

तेरे दीदार को हसरतें मचलती रहीं,
'असीम' तुझे क्यूँ ज़रा सबर नहीं।

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अच्छा है कि सब भूल जाएँ मुझे
खुद को भी नहीं याद रहा हूँ मैं।

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31 DEC 2023 AT 17:30

जाते हुए दिसम्बर !!
हर उस लम्हे के लिए तेरा शुक्रिया
जिस लम्हे में तूने अच्छे-बुरे अनुभव दिए,
कोई अपना पराया हुआ तो कोई पराया अपना हुआ,
किसी के कारण होठों पर मुस्कुराहट आई,
तो किसी ने आँसुओं से दामन भर दिया,
किसी पल जिंदगी बोझ लगी
तो किसी पल जिंदगी खुदा की नेमत लगी.
तूने जो भी दिया,
मैंने सब बाहें पसारकर लिया..
अबकी बार जब आना
इतना सुनते जाना..
नई खुशियाँ न दे तो न सही
लेकिन जो इस वक्त हैं,
उन्हें बनाए रखना..
तेरा अगले साल आने के इंतजार में
कलेंडर के पन्ने पलटते रहेंगे..
अलविदा..

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28 DEC 2023 AT 16:17


मैं लिखूँ जब तुझे,प्यार बेशुमार लिखूँ,
छोटी-सी दुनिया का बड़ा संसार लिखूँ।

मेरी आँखों में उदासी की चादर छाई,
ख्वाहिशें बंद मुट्ठियों में हजार लिखूँ ।

पल-पल है जो मरता बिना नौकरी के,
उम्मीदों से भरा ऐसा बेरोजगार लिखूँ।

ना दुआ काम आती है न दवा आएगी,
तेरी मोहब्बत में खुद को बीमार लिखूँ।

जून की गर्मी भी न उतार पाए जिसको,
तुझे दिसम्बर का चढ़ता खुमार लिखूँ।

कहानियाँ सब होंगी मुक्कमल'असीम,
सूनी आँखों का सुनहरा इंतज़ार लिखूँ।

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19 DEC 2023 AT 20:22

फिंगर-क्रॉस

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30 JUL 2023 AT 11:18

दर्द देने वाले तू दवा भी बता दे,
जिंदा नहीं तो मरने की दुआ दे।
हमें मंजूर तेरे हर सितम हो गए,
फूल नहीं राहों में काँटे सजा दे।

जैसे भी हो पर तू तो खुश रहना,
माज़ी को मेरी बददुआ लगा दे।
हश्र देखे मेरा तो कोई सबक ले,
मेरे यकीन की कुछ तो सज़ा दे।

कोई मरता नहीं किसी के बिना,
ज़ेहन में सच आखिरी बैठा ले।
मुझे मेरे आज का ही नहीं पता,
मेरे मुस्तकबिल में आग लगा दे।

तुम्हें मुबारक तुम्हारे वादे झूठे,
कोई हमें भी सच से मिलवा दे।
तल्खी बहुत लहज़े में 'असीम',
हर बात को हवा में अब उड़ा दे।

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18 JUN 2023 AT 19:20

जब कभी जिंदगी में थककर
या उदास होकर बैठने लगो,
तो बैठना कुछ घड़ी पापा के पास..
सारी परेशानियों के हल मिल जाएँगे
और उस वक्त देखना पापा का चेहरा
जो सारी जिंदगी के तजुर्बे सोखे हुए होगा
जो तुम्हारी थकी हुई पीठ पर
थपकी देते हुए कहेगा
कि तुम्हारे ऊपर अभी आसमान है..

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12 JUN 2023 AT 21:42

उसकी बेवफ़ाई का अब मलाल क्यों रखना,
किसी के चले जाने पर बुरा हाल क्यों रखना।

कौन कहाँ सही था और कौन कहाँ गलत था,
अब आखिर इतना बड़ा सवाल क्यों रखना।

दिल जलेगा तो सारी दुनिया ही ख़ाक होगी,
उंगलियों को बचाने का ख़्याल क्यों रखना।

बालक नहीं जो खिलौने के लिए रूठ जाऊँ ,
मासूम आँखों में इतना बवाल क्यों रखना।

सब भूल कदम कुछ आगे बढ़ाओ 'असीम',
उस ग़ैर के लिए खुद को बेहाल क्यों रखना।

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29 MAY 2023 AT 15:53

दर्द देने वाले तू दवा भी बता दे,
जिंदा नहीं तो मरने की दुआ दे।
हमें मंजूर तेरे हर सितम हो गए,
फूल नहीं राहों में काँटे सजा दे।

जैसे भी हो पर तू तो खुश रहना,
माज़ी को मेरी बददुआ लगा दे।
हश्र देखे मेरा तो कोई सबक ले,
मेरे यकीन की कुछ तो सज़ा दे।

कोई मरता नहीं किसी के बिना,
ज़ेहन में सच आखिरी बैठा ले।
मुझे मेरे आज का ही नहीं पता,
मेरे मुस्तकबिल में आग लगा दे।

तुम्हें मुबारक तुम्हारे वादे झूठे,
कोई हमें भी सच से मिलवा दे।
लहज़े में बहुत तल्खी है'असीम',
हर बात को हवा में अब उड़ा दे।

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