sidhu Dwivedi   (Naamhsidhu)
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जानकर क्या करेगें।
Joined 30 April 2019


जानकर क्या करेगें।
Joined 30 April 2019
3 JUN 2020 AT 15:31


starting an expedition might be easy,
code for success is always teasy,
you will loose your kith & kin,
maybe you will cry & regrets for your sin,
you will fall ,you will die,
always keep your head high,
you have to face that thunder and rain,
alas ! get up and hunt your expedition again.

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22 MAY 2020 AT 1:04

ये घर नहीं मेरी यादों की किताब है
इसी में बसा बचपन का ख़्वाब है ।

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19 MAY 2020 AT 23:04

loose yourself in the lap of nature eventually,everthing will start healing.

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2 OCT 2019 AT 0:10

जब हम मन से बेचैन हो जाते हैं
सुकून पाने की खोज में
चाय की टपरी पर पहुँच जाते हैं।

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30 SEP 2019 AT 21:39

एक बात कहता हूं ।
गलती उसकी नहीं जो घर से निकला,
गिरता-पड़ता ,अटकता-भटकता, मौसमों की मार झेलता ,
किसी न किसी दिन अपनी मंजिल पर जरूर पहुंच जाएगा ।
मियां ,
गलती तो उसकी है जिसने सुबह का सूरज और रात की चांदनी नही देखी हो।

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29 SEP 2019 AT 0:47

कुछ समय पहले तक जो दोस्त हर घड़ी साथ रहा करते थे, वो आज बट गए हैं।
अपने कर्तव्यों की ओर डट गए हैं ।
याद आती हैं और वो कुछ पुरानी बातें,
एक कॉल पर सब का इकट्ठा हो जाना ।
घरों के आगे अपने किस्से सुनाना ।
ट्यूशनों के बाहर खड़े होकर ठहाके लगाना ।
वह रविवार का बेसब्री से इंतजार करना ,फिर यारों के साथ मिलकर गेड़ियां लगाना ।
आज मुड़कर पीछे देखता हूं बहुत कुछ याद आता है, समय बदल और परिस्थितियां बदल चुकी है ।
चलो दोस्तों एक बार दोबारा मिलते हैं ।

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18 SEP 2019 AT 16:17

परिस्थिति कुछ ऐसी थी,
जो कभी होता था मेरा,
आज होकर भी नहीं था मेरा,
क्या कहता हालातों से,
जब समय ही साथ नहीं था मेरा।

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16 SEP 2019 AT 17:54

ऐसे नहीं कि हर बार आसानी से लिख जाता हूंँ
लिखने के लिए प्रेरणा की राह अपनाता हूंँ
ऐसा नहीं है हर बार ही कामयाब हो जाता हूंँ
लिखने के लिए जगह और ठिकाने की खोज किया करता हूँ
कभी-कभी बैठ उस पुरानी खिड़की पर चारों तरफ का माहौल गौर किया करता हूँ
कभी लोगों की भीड़, तो कभी पेड़ पर बसा वह चिड़ियों का नीड़,
कभी युवाओं के तथाकथित क्लब , तो कभी वही पुराने नुक्कड़ों पर चाय की तलब,
कुछ ना मिलने पर व्याकुल हो जाता हूंँ
एक समय ऐसा आता है जब सब कुछ छोड़ देना चाहता हूँ
निराशा की कगार पर खड़ा हूँ, फिर भी कहीं ना कहीं अपने भीतर एक उम्मीद की ज्वाला जलाए रखता हूँ
तभी प्रेरणा की खोज लिए फिरता हूँ


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15 SEP 2019 AT 10:50

FERNWEH-1
In this fast and furious world,
when you’ve been at workplace for too long and you ache to be out into the world again. Sometimes you don’t know where you want to be,
but you know that it’s away, Sometimes you know where, and you want to get there as quickly as possible,
That's the perfect time for taking break and enjoying the safari.

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14 SEP 2019 AT 14:56

तुम दिखने में सरल हो ,आसान हो
तुम खूबसूरत हो ।
तुम वही हो ना जिसने पूरे देश को देश भक्ति के रंग में रंगा था,
आजादी दिलाई थी,
तुम वही हो ना जिसने भारत को विश्व स्तर पर पहुंचाया है,
तुम्हारे महत्व को अस्वीकार तो नहीं किया जा सकता
कहीं तुम " हिंदी" तो नहीं ...???

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